
शिक्षा विभाग – श्रृंखला पांच
📍शशिकांत सनसनी राजनांदगांव छत्तीसगढ़
राजनांदगांव जिले के पीएम श्री स्कूल, जिसे नगर पालिक निगम द्वारा संचालित स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के रूप में जाना जाता है, एक बार फिर शिक्षा विभाग की गंभीर अनियमितताओं का केंद्र बन गया है।
मनोज सोन कलिहारी, जो पूर्व में शासकीय हाई स्कूल, धौराभाठा में पदस्थ थे, उनकी प्रतिनियुक्ति स्वामी आत्मानंद स्कूल डोंगरगांव में की गई थी। उन्हें पनिशमेंट के तौर पर उनके मूल शाला में भेजा गया था, लेकिन प्रभावशाली पहुंच के चलते वर्ष 2024 में वे नगर निगम द्वारा संचालित आत्मानंद स्कूल में नियम विरुद्ध रूप से संलग्न हो गए और विगत एक वर्ष से यहीं पढ़ा रहे हैं।
📌 डीईओ के आदेश को ठेंगा
13 मई 2025 को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा उनका संलग्नीकरण समाप्त किया जा चुका है, इसके बावजूद सोन कलिहारी बिना कलेक्टर पदेन अध्यक्ष के अनुमोदन व अनुमति के, अब भी नगर निगम स्कूल में अध्यापन कर रहे हैं।
गंभीर बात यह है कि उनका वेतन आज भी स्वामी आत्मानंद स्कूल डोंगरगांव से जारी हो रहा है, जबकि वे वहाँ न तो पढ़ा रहे हैं और न ही वहां प्रतिनियुक्ति पर अब पदस्थ हैं। मूल शाला में उनकी जगह युक्तियुक्तकरण के तहत अन्य शिक्षक की नियुक्ति हो चुकी है।
❓ प्रशासनिक सवाल खड़े
इस पूरे मामले ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
जब संबंधित विद्यालय में उनकी पोस्टिंग ही नहीं है, तो उपस्थिति पत्रक कौन भेज रहा है?
बिना कलेक्टर की अनुमति के वेतन किस आधार पर जारी किया जा रहा है?
डीपीआई के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, दो स्वामी आत्मानंद स्कूलों के बीच प्रतिनियुक्ति क्यों और कैसे की गई?
लोक शिक्षण संचालनालय के निर्देश अनुसार, स्वामी आत्मानंद स्कूलों में कार्यरत शिक्षक का किसी भी स्थिति में अंतर-विद्यालयीय स्थानांतरण या संलग्नीकरण नहीं किया जा सकता, फिर भी शिक्षा विभाग राजनांदगांव के अधिकारियों द्वारा इन नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।
⚠️ भारी वित्तीय अनियमितता का आरोप
इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी और संबंधित प्राचार्य की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ रही है। वेतन भुगतान, कार्य स्थलों की अदला-बदली और बिना वैध आदेश के संलग्नीकरण—ये सभी बिंदु एक वित्तीय और प्रशासनिक घोटाले की ओर इशारा कर रहे हैं।
🗣️ राजनीतिक असर और छवि पर सवाल
राजनांदगांव क्षेत्र के विधायक एवं छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के क्षेत्र में शिक्षा विभाग के इस प्रकार के कारनामों से भाजपा सरकार की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। स्थानीय जनता में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या सरकार इस अनियमितता पर कोई सख्त कार्यवाही करेगी या इसे नजरअंदाज किया जाएगा?