आवेदिका को आयोग के निर्देश पर मिलेगा न्याय, पति देगा प्रतिमाह ₹15,000 भरण-पोषण, अन्य मामलों में तलाक, मानसिक उपचार और कानूनी कार्रवाई की अनुशंसा

शशिकांत सनसनी रायपुर छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक तथा सदस्यगण श्रीमती लक्ष्मी वर्मा एवं श्रीमती सरला कोसरिया की उपस्थिति में आयोग कार्यालय रायपुर में आज 336वीं राज्य स्तरीय एवं 158वीं रायपुर ज़िला स्तरीय जनसुनवाई आयोजित की गई। इस दौरान महिला उत्पीड़न से संबंधित विभिन्न मामलों पर सुनवाई की गई।

  1. मानसिक रोगी पति के इलाज व भरण-पोषण का आदेश

एक मामले में आवेदिका ने आरोप लगाया कि उसका विवाह झूठ बोलकर कराया गया और पति की मानसिक स्थिति पहले से ही खराब थी, जिसकी जानकारी छुपाई गई। बीते 7 वर्षों से आवेदिका के पिता ने दामाद का इलाज व भरण-पोषण किया है। आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मानसिक रोग चिकित्सालय, सेंद्री (बिलासपुर) को इलाज हेतु पत्र भेजने की अनुशंसा की है।
इस दौरान पति के परिवार को निर्देशित किया गया कि वे आवेदिका को 6 माह तक ₹12,000 प्रतिमाह भरण-पोषण राशि प्रदान करें। छह माह बाद उपचार रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्यवाही की जाएगी।

  1. दूसरी शादी के दबाव और मानसिक प्रताड़ना पर एफआईआर की अनुमति

दूसरे मामले में आवेदिका ने बताया कि दो बेटियों के जन्म के बाद ससुराल वालों ने उसे प्रताड़ित किया और जबरन मानसिक रोग की दवाएं दीं। बेटियों को भी उससे छीन लिया गया। आयोग ने आवेदिका को क्रूरता एवं प्रताड़ना के लिए एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति दी और प्रकरण को नस्तीबद्ध किया।

  1. मात्र 15 दिन बाद घर से निकाली गई पत्नी को ₹15,000 प्रतिमाह भरण-पोषण

एक अन्य मामले में पति द्वारा विवाह के 15 दिन बाद ही पत्नी को घर से निकाल देने का आरोप सामने आया। आरोपी पति वर्तमान में तेलीबांधा थाना में पदस्थ है और ₹40,000 मासिक वेतन प्राप्त करता है, फिर भी आवेदिका को कोई सहायता नहीं दी गई। आयोग के निर्देश पर अनावेदक विवाह का सामान लौटाएगा और ₹15,000 प्रतिमाह भरण-पोषण राशि देगा। प्रकरण की निगरानी आयोग द्वारा की जाएगी।

  1. दादी की याचिका पर बाल संरक्षण की सलाह

एक प्रकरण में दादी (आवेदिका) ने बहू और पोते को अपने साथ रखने की याचिका लगाई। बहू वर्तमान में ₹10,000 प्रति माह कमाती हैं और बच्चे की देखभाल नहीं कर पा रही हैं। बहू ससुराल में रहना भी नहीं चाहती। आयोग ने दोनों पक्षों को आपसी सहमति से तलाक की समझाइश दी। साथ ही पिता को कानूनी माध्यम से पुत्र का नैसर्गिक संरक्षण प्राप्त करने की सलाह दी गई।

  1. आयोग के आदेश की अवहेलना पर कार्रवाई की चेतावनी

एक अन्य मामले में आवेदिका ने बताया कि पूर्व में आयोग द्वारा दिए गए भरण-पोषण आदेश का अनावेदक (रेलवे कर्मचारी) ने पालन नहीं किया। आयोग ने चेतावनी दी कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया, तो डीआरएम को पत्र भेजकर निलंबन की अनुशंसा की जाएगी। साथ ही उसे निर्देशित किया गया कि वह आवेदिका एवं उनकी पुत्री का नाम अपनी सर्विस बुक में दर्ज कराए।