रिपोर्ट: एस.एन. श्याम / अनमोल कुमार | पटना
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कार्तिकेय शर्मा का एक बयान मीडिया जगत में भूचाल ला दिया है। उन्होंने हाल ही में आयोजित एक खचाखच भरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि बिना पुष्टि के समाचार छापे या प्रसारित किए गए, तो संबंधित पत्रकारों और संस्थानों को नोटिस भेजकर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर पत्रकारों को जेल भेजा जा सकता है।
“जेल भेजने की नौबत आ सकती है” — एसएसपी की दो टूक
एसएसपी शर्मा ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट मीडिया में असत्यापित खबरों के प्रसारण से कांड का अनुसंधान प्रभावित होता है, जो एक संज्ञेय अपराध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में पत्रकारों को घटना के आरोपी के रूप में भी शामिल किया जा सकता है।
पारस अस्पताल मर्डर केस के कवरेज से नाराज़
यह बयान पारस अस्पताल में दिनदहाड़े अपराधी चंदन मिश्रा की हत्या की घटना के बाद आया है। कई मीडिया संस्थानों ने इस मामले में पुलिस की लापरवाही को उजागर किया था, जिससे कथित रूप से राज्य सरकार की साख को ठेस पहुंची।
एसएसपी शर्मा ने पत्रकारों की रिपोर्टिंग को ही अनुसंधान में रुकावट की वजह बताया और संपूर्ण दोष मीडिया पर डालते हुए सख्त लहजे में चेतावनी दी।
पत्रकार संगठनों में भारी आक्रोश
एसएसपी के इस बयान के बाद मीडिया संगठनों और पत्रकारों में गहरा आक्रोश है। कई संगठनों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है।
प्रमुख पत्रकार नेताओं की प्रतिक्रिया:
एस.एन. श्याम, भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के पूर्व राष्ट्रीय सचिव और वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर ने कहा, “यह बयान न केवल प्रेस की आज़ादी पर हमला है बल्कि पुलिस प्रशासन की कमजोरी छुपाने का प्रयास है।”
अनमोल कुमार, बिहार प्रेस मेन्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “हम इस मामले को राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक लेकर जाएंगे।”
कुमार निशांत, श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष, राज किशोर सिंह, महासचिव और
सुधांशु कुमार सतीश, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने भी घटना की घोर निंदा करते हुए बिहार के पुलिस महानिदेशक से एसएसपी पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
संविधान की आत्मा को चुनौती
पत्रकारों का कहना है कि एसएसपी द्वारा दिया गया यह बयान भारत के संविधान में वर्णित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उनका आरोप है कि पुलिस प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए प्रेस को निशाना बना रहा है।
एसएसपी द्वारा पत्रकारों को जेल भेजने की धमकी ने जहां बिहार के मीडिया जगत को झकझोर दिया है, वहीं यह प्रकरण सरकार, प्रशासन और मीडिया के बीच की संवेदनशील संतुलन रेखा पर नए सिरे से बहस की ज़रूरत को सामने लाता है
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