रिपोर्टर-सूरज साहू धमतरी छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में शिक्षा व्यवस्था की खामियों को लेकर स्कूली बच्चों ने अनोखा विरोध दर्ज कराया है। स्कूली सत्र शुरू हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन अब तक कई स्कूलों में किताबें नहीं पहुंची हैं। जिससे परेशान होकर छात्र अब तख्ती लेकर सड़कों पर उतर आए हैं और किताबों की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए हैं।
📚 पुस्तकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं बच्चे
दुगली गांव के स्कूल में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को एक भी पाठ्यपुस्तक नहीं मिली है। कई स्कूलों में आधी-अधूरी किताबें ही पहुंची हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। बच्चे और उनके अभिभावक हाथों में तख्ती लेकर धरना दे रहे हैं, जिन पर लिखा है – “हमें किताब चाहिए”।
🎙️ हेडमास्टर और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया:
खेमन सार्वा, हेडमास्टर (सरकारी स्कूल, सियारी नाला) ने बताया:
“पांचवीं कक्षा की दो और चौथी कक्षा की एक विषय की किताब अब तक नहीं आई है। पुरानी किताबों से काम चलाना पड़ रहा है।”
रामेश्वर मरकाम, सरपंच, दुगली:
“पुस्तकों की आपूर्ति समय पर नहीं होना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।”
सूर्या सलाम, अध्यक्ष, शाला प्रबंधन समिति:
“किताबें समय पर नहीं पहुंचीं तो आगे और बड़े आंदोलन होंगे।”
🏢 शिक्षा विभाग का पक्ष:
टी.आर. जगदल्ले, जिला शिक्षा अधिकारी, धमतरी ने कहा:
“पुस्तकों की आपूर्ति लगातार की जा रही है। कुछ स्थानों पर डिलीवरी में देर हो सकती है, लेकिन सभी स्कूलों को किताबें शीघ्र उपलब्ध करा दी जाएंगी।”
❓ बड़ा सवाल – किताबें आखिर जा कहां रही हैं?
शिक्षण सत्र शुरू हुए 16 जून से अब तक एक महीना बीत चुका है, लेकिन कई स्कूल अब भी किताबों के इंतजार में हैं। वहीं, शिक्षा विभाग किताबें आने का दावा कर रहा है। सवाल यह है कि अगर किताबें विभाग के पास हैं, तो वे स्कूलों तक क्यों नहीं पहुंच रही हैं?
📆 मासिक परीक्षा नजदीक, छात्रों की चिंता बढ़ी
स्कूलों में जल्द ही मासिक परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। ऐसे में किताबों के बिना पढ़ाई करना बच्चों के लिए बेहद मुश्किल हो गया है। प्रदर्शन कर रहे बच्चों का यही कहना है कि “हम पढ़ना चाहते हैं, हमें किताबें चाहिए।”


