नीली बत्ती पर जन्मदिन का जश्न: हाई कोर्ट की कड़ी नजर, डीएसपी की पत्नी के वायरल वीडियो पर मांगा गया मुख्य सचिव से जवाब


शशिकांत सनसनी छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एक निजी वाहन पर नीली बत्ती लगाकर जन्मदिन मनाने का वीडियो सामने आने के बाद यह मामला अब न्यायिक जांच के दायरे में आ गया है छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस वीडियो पर स्वत संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया है और राज्य में मुख्य सचिव की शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने की निर्देश दिए हैं अदालत में अगली सुनवाई की एक सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की गई है

घटना की पृष्ठभूमि
वायरल वीडियो में एक महिला जो पुलिस अधिकारी डीएसपी की पत्नी बताई जा रही है एक निजी XUV 700 कार्मिक की बोनट पर बैठकर केक काटती दिख रही है वहां पर पीली 32 स्पष्ट रूप से लगी हुई थी और पूरे दृश्य को अंबिकापुर स्थित एक रिसॉर्ट के समीप तरीका किया गया है बताया जा रहा है की वीडियो में उसे महिला के साथ कई लोग उपस्थित है जो पूरे आयोजन को उल्लास पूर्ण बना रहे हैं
यह दृश्य सामने आने के बाद सार्वजनिक मंचों पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली सबसे बड़ा सवाल यह उठा की निजी वाहन पर नीली बत्ती का प्रयोग क्यों और कैसे किया गया और यदि वाहन निजी था तो उसे पुलिस से संबंधित वहां का दर्जा किस आधार पर मिला
पुलिस की भूमिका और उठे सवाल
बलरामपुर पुलिस ने इस प्रकरण में जो फिर दर्ज की है उसमें वाहन चालक को अज्ञात बताया गया है जबकि वायरल वीडियो में वाहन को किसी परिचित व्यक्ति द्वारा चलाया जाना स्पष्ट रूप से दिखाई देता है इस पहलू ने पुलिस की पारदर्शिता और मंशा को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं
पुलिस द्वारा दर्ज किए गए अपराध में भारतीय दंड संहिता की धारा 177 (गलत जानकारी देना ) धारा 184 (लापरवाही से वाहन चलाना) और धारा 281 (सार्वजनिक मार्ग में बाधा उत्पन्न करना )शामिल है शुरुआती रिपोर्ट में वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई की गई थी जबकि बाद में वीडियो में दिख रही महिला सर पर भी मामला दर्ज किया गया विभागीय जांच प्रारंभ करने की बात भी पुलिस द्वारा कही गई हैँ

न्यायालय की टिप्पणी
नियमों का उल्लंघन करने वालों की होगी जवाब देगी
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले में स्पष्ट किया कि कानून से जुड़े लोग यदि स्वयं नियमों का उल्लंघन करें,तो उनके जवाबदेही तय करना आवश्यक है न्यायालय के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे स्पष्ट करें कि निजी वाहन पर नीली बत्ती का उपयोग कैसे संभव हुआ,और इनमें किन-किन स्तरो पर लापरवाही या दुरूपयोग हुआ हैं

सार्वजनिक धारणा और प्रशासनिक साख पर प्रभाव
यह घटना घटना न केवल कानूनी प्रक्रिया और पुलिस की साख पर सवाल उठाती है बल्कि यह भी दिखती है कि नियमों और विशेषधिकारों का निजी उपयोग कैसे एक दूसरे तंत्र की विश्वसनीयता को चुनौती दे सकता है यदि इस मामले में गहराई से कार्रवाई होती है तो यह आगे के लिए एक प्रशासनिक दृष्टांत बन सकता है

निष्कर्ष
यह प्रकरण उन अनेक सवालों को जन्म देता है जो नीली बत्ती की वैधानिकता पुरुष और प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों की मर्यादा से जुड़ा है अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि हाई कोर्ट की शक्ति के बाद राज्य सरकार किस स्तर तक जिम्मेदारी सुनिश्चित करती है और यह मामला केवल वीडियो वायरल होने तक ही सीमित रहेगा या इससे एक बड़ा बदलाव आएगा