राजनांदगांव जिले के छुरिया ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सड़क चिरचारी में हुए एक मासूम बालक की मौत के मामले में गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और संभावित राजनीतिक संरक्षण की बू आ रही है। घटना में निर्माण कार्य एजेंसी और पूर्व सरपंच की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट आने से पहले ही पंचायत सचिव को निलंबित किए जाने से प्रशासनिक मंशा पर उंगलियां उठ रही हैं।
🟥 22 जून को हुई दर्दनाक घटना
ग्राम पंचायत द्वारा बनाए गए सूचना पटल के अचानक गिर जाने से पास में खेल रहा 5 वर्षीय युवांश निषाद (पुत्र नरेंद्र निषाद) उसकी चपेट में आ गया और मौके पर ही दम तोड़ बैठा। घटना की सूचना मिलते ही कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी, जिसमें:
संयुक्त कलेक्टर सरस्वती बंजारे,
लोक निर्माण विभाग के ईई एस.के. चौरसिया,
उपसंचालक पंचायत देवेंद्र कौशिक शामिल थे।
इन्हें 1 सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।
🕵️♀️ जांच से पहले ही निलंबन?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब घटना 22 जून को हुई और जांच समिति ने 25 जून को घटनास्थल का निरीक्षण किया, तो फिर 23 जून को ही पंचायत सचिव को निलंबित करने का आदेश कैसे और क्यों जारी कर दिया गया?
क्या जांच के नतीजों से पहले ही फैसला तय था?
क्या किसी को बचाने की जल्दबाज़ी में यह कार्रवाई की गई?
यह भी आश्चर्यजनक है कि निलंबन आदेश की प्रति 3 जुलाई को सोशल मीडिया में वायरल हुई, लेकिन आज तक वह आदेश सचिव के पास नहीं पहुंचा है, जैसा कि सचिव ने फोन पर बताया।
🔍 असल जिम्मेदार कौन?
सूचना पटल का निर्माण पूर्व सरपंच और निर्माण एजेंसी द्वारा कराया गया था। सचिव का काम केवल देखरेख और रिकॉर्ड का होता है, जबकि निर्माण की गुणवत्ता की जिम्मेदारी इंजीनियर और कार्य एजेंसी की होती है।
सूत्रों के मुताबिक, इस काम में पूर्व सरपंच की सीधी संलिप्तता थी, लेकिन कार्रवाई केवल सचिव पर ही की गई। क्या यह राजनीतिक संरक्षण का मामला है? क्या सचिव को बलि का बकरा बनाकर असली गुनहगारों को बचाया जा रहा है?
❗ कारण बताओ नोटिस का क्या हुआ?
जिला पंचायत सीईओ द्वारा पूर्व सरपंच, इंजीनियर और सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन आज तक उसकी रिपोर्ट या निष्कर्ष सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
वहीं वर्तमान सरपंच ने खुद को पूरे मामले से अलग बताया है, जो यह संकेत देता है कि यह निर्माण पूर्व कार्यकाल में किया गया था।
⚖️ क्या मिलेगा मासूम के माता-पिता को इंसाफ?
बच्चे की अकाल मृत्यु के बाद परिवार सदमे में है। प्रशासन की भूमिका पर गहरे सवाल खड़े हो रहे हैं। यह स्पष्ट है कि:
सचिव पर पूर्व-निर्धारित कार्रवाई हुई,
पूर्व सरपंच और कार्य एजेंसी पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं,
जांच रिपोर्ट आने से पहले ही निष्कर्ष तय कर लिया गया।
🗣️ जनहित की मांग
इस मामले में जिले के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि:
✅ जांच समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।
✅ सचिव के अलावा निर्माण एजेंसी, इंजीनियर और पूर्व सरपंच पर भी कार्रवाई की जाए।
✅ मासूम के परिवार को उचित मुआवजा और न्याय दिलाया जाए।
📌 निष्कर्ष:
यदि इस प्रकार प्रशासनिक कार्यवाही राजनीति से प्रेरित होकर की जाती है, तो यह लोकतंत्र और न्याय के सिद्धांतों की हत्या है। कलेक्टर को चाहिए कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर सच उजागर करें और असली दोषियों पर कार्रवाई हो – वरना आम जनता का भरोसा तंत्र से उठना तय है।