
शशिकांत सनसनी छत्तीसगढ़
राजनांदगाँव जिले के डोंगरगढ़ रोपवे फिर दौड़ा, हादसे की जांच अटकी,डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी मंदिर का रोपवे बीते रविवार से फिर हवा में चलने लगा है। श्रद्धालु ऊपर-नीचे आ भी रहे हैं, लेकिन सवाल अब भी हवा में लटके हैं कि अगर फिर ट्रॉली डिरेल हुई, तो इस बार किसकी जिम्मेदारी होगी।24 अप्रैल को जब भाजपा नेताओं से भरी ट्रॉली हादसे में पलटी थी, तब हर तरफ जांच और जवाबदेही के वादे किए गए थे। कलेक्टर-एसपी से लेकर मंदिर ट्रस्ट तक ने दावा किया था , कि रोपवे तब तक बंद रहेगा, जब तक पूरी जांच और सुधार नहीं हो जाते। लेकिन डेढ़ महीने में जो सुधार हुए, वह कागजों में तो नजर आते हैं, जमीन पर हालात अब भी उतने ही डरावने हैं।
इस बार जहां ट्रॉली गिरी थी, वहां से दो मीटर पहले एक अस्थाई चबूतरा बना दिया गया है। ट्रॉली को मैनुअल ब्रेक लगाकर उसी चबूतरे पर रोका जाता है और श्रद्धालुओं को वहां उतार दिया जाता है। इसके बाद खाली ट्रॉली को हाथ से खींचकर उस पॉइंट तक ले जाया जाता है, जहां से वापसी के लिए चढ़ाई शुरू होती है। बड़े-बड़े तकनीकी सुधारों के दावों के बीच श्रद्धालुओं की सुरक्षा फिलहाल इसी मैनुअल जुगाड़ पर टिकी है।मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल का कहना है कि घटना के बाद एनआईटी रायपुर और विशेषज्ञों की टीम ने रोपवे का सर्वे किया था। हादसे की जगह को दो मीटर पहले शिफ्ट कर चबूतरा बनाकर व्यवस्था की गई है। ड्रॉइंग-डिज़ाइन का काम पूरा हो चुका है और आने वाले दो से तीन महीने में स्थाई समाधान कर दिया जाएगा। उनके मुताबिक एनआईटी और रोपवे कंपनी ने रोपवे को ‘रेडी’ बताने वाला पत्र दिया है, जिसे प्रशासन को भेजकर संचालन शुरू किया गया है।वहीं एसडीएम अभिषेक तिवारी ने भी पुष्टि की कि एनआईटी द्वारा तय मापदंडों के आधार पर मंदिर ट्रस्ट ने संचालन शुरू किया है और सुधार की प्रक्रिया अभी भी जारी है। पर सच यही है कि 24 अप्रैल को हुए हादसे की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है। हादसे की असली वजह क्या थी, यह अब भी साफ नहीं है। किसकी लापरवाही थी, यह तय नहीं हुआ और किसी पर अब तक कोई कार्रवाई भी नहीं हुई है। इसके बावजूद रोपवे का संचालन शुरू कर दिया गया है।यह मामला सिर्फ रोपवे के संचालन का नहीं है, बल्कि उन हज़ारों श्रद्धालुओं की सुरक्षा का है, जिनकी जानें रोजाना इस रोपवे में हवा में लटक रही हैं। जब स्थाई समाधान में अभी महीनों का वक्त बाकी है, तब तक मैनुअल सिस्टम पर श्रद्धालुओं को ले जाना कितना सुरक्षित है, यह सवाल हर उस परिवार को चिंता में डाल रहा है, जो मां बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए यहां आता है। मां बम्लेश्वरी सबकी रक्षा करें, लेकिन ट्रस्ट और प्रशासन भी जवाब दें कि उनकी जवाबदेही आखिर कब तय होगी। या फिर अगली बार भी कोई ट्रॉली गिरने पर सिर्फ इतना ही कहा जाएगा कि “जांच करेंगे”, और फिर जांच महीनों तक कागजों में दबी रह जाएगी।