


रायपुर।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बीते 100 दिनों से अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे दिव्यांग जनों के साथ जो व्यवहार किया गया, वह न केवल अमानवीय है, बल्कि संविधान और मानवाधिकारों की भी अवहेलना है। अखिल भारतीय विधवा दिव्यांग संघ महिला सुरक्षा सेना ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि वे दिव्यांगजनों के सम्मान और अधिकारों के लिए संघर्ष की इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े हैं।
अत्याचार की घटना:
16 जुलाई को विधानसभा घेराव की तैयारी कर रहे दिव्यांग जनों को राजधानी में पुलिसकर्मियों ने जबरन घसीट-घसीट कर, ठूंस-ठूंस कर गाड़ियों में बैठाया। महिला दिव्यांगों के साथ हाथापाई, कुछ के हाथ टूट जाने और सरेराह अपमान की घटनाएं सामने आई हैं। यह सब उस राज्य में हो रहा है जहां मुख्यमंत्री स्वयं दिव्यांगों की मांगों को सही बता चुके हैं और एक से डेढ़ महीने में समाधान का आश्वासन दिया था — लेकिन अब 14 महीने बीत चुके हैं।
सरकार से सवाल:
प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार देवांगन ने कहा,
“दिव्यांगों को उनकी बात रखने का अवसर तक नहीं दिया जा रहा। विधानसभा जाने से रोकना, शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग करना, महिला दिव्यांगों के साथ दुर्व्यवहार — यह सब किस सुशासन की परिभाषा है? सरकार को इन बर्बर कार्यवाहियों का जवाब देना होगा।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘विकलांग’ शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द देना और 2016 का अधिकार अधिनियम लागू करना सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। अगर यह कानून लागू है, तो क्या रायपुर में दिव्यांगों पर हुए अत्याचार पर संबंधित पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही होगी?
दिव्यांग जनों की 6 सूत्रीय मांगें:
- फर्जी दिव्यांगों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
- दिव्यांग पेंशन ₹500 से बढ़ाकर ₹5000 की जाए, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।
- 18 वर्ष से अधिक उम्र की अविवाहित दिव्यांग बहनों को महतारी वंदना योजना का लाभ दिया जाए।
- 2002 के पुराने पेंशन सर्वे की बाध्यता खत्म की जाए।
- कोविड पूर्व दिव्यांगों को दिए गए ऋण को माफ किया जाए।
- शासकीय दिव्यांग कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का पूर्ण लाभ दिया जाए।
प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार देवांगन ने साफ शब्दों में कहा,
“सरकार जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। यह लड़ाई अब राजधानी तक सीमित नहीं रहेगी, प्रदेश से लेकर केंद्र तक हर मंच पर हम दिव्यांगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगे। हम किसी भी हालत में अत्याचार सहन नहीं करेंगे।”