सांसें रोक देने वाला खुलासा ! धान से शराब तकः भूपेश राज में 3840 करोड़ की तिहरी लूट

शशिकांत सनसनी रायपुर छत्तीसगढ़

ढेबर-टुटेजा सिंडिकेट का संगठित भ्रष्टाचार का साम्राज्य उजागर, कई अफसर और नेता जांच के घेरे में ईडी और ईओडल्ब्यू की पूछताछ में बड़े नाम बेनकाब, आने वाले दिनों में और बड़े खुलासों के संकेत

प्र देश में एक के बाद एक सामने आ रहे घोटालों ने यह साबित कर दिया है कि पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार में सत्ता के करीबी लोगों ने मिलकर भ्रष्टाचार की ऐसी मशीनरी खड़ी की थी, जिसने राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई को योजनाबद्ध तरीके से लूटा। जांच एजेंसियों की छानबीन से अब इस “ढेबर-टुटेजा सिंडिकेट” का चेहरा पूरी तरह बेनकाब होता नजर आ रहा है।

अब तक सामने आए आंकड़ों के अनुसार तीन बड़े घोटाले
शराब घोटाला 3200 करोड़ रुपए,कोयला परिवहन 500 करोड़ रुपए,
कस्टम मिलिंग 3200 करोड़ रुपए

कुल मिलाकर 3840 करोड़ से ज्यादा की लूट की पुष्टि हो चुकी है, और जानकार मानते हैं कि ये आंकड़ा और बढ़ सकता है।

अफरशाही, सत्ता और कारोबार का गहरा गठजोड़
मुख्य आरोपी अनवर ढेबर, जो रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई हैं, को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सबसे करीबी माना जाता रहा है। सूत्रों का दावा है कि अनवर ढेबर ने ही भूपेश को सीएम बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी, और इसके एवज में उन्हें सत्ता के हर गलियारे में छूट मिली। उसी का फायदा उठाकर उन्होंने आईएएस अफसर अनिल टुटेजा के साथ मिलकर तीन बड़े घोटालों की पटकथा रची।
गिरफ्तारियां और जांच
ईओडब्ल्यू ने अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है। इनसे पूछताछ के बाद अब कई और रसूखदार जांच के घेरे में आ गए हैं। जैसे कैलाश रूंगटा अध्यक्ष, राइस मिलर्स एसोसिएशन, रोशन चंद्राकर – कोषाध्यक्ष, राइस मिलर्स एसोसिएशन (अभी जेल में), रामगोपाल अग्रवाल कोषाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ कांग्रेस (करीब 3 साल से फरार), सिद्धार्थ सिंघानिया-कारोबारी, घोटाले में कथित वित्तीय लिंक, मनोज सोनी पूर्व एमडी मार्कफेड (जमानत पर बाहर) मार्कफेड के कई अन्य अधिकारी, जिनके नाम छानबीन में सामने आए हैं, वही आलोक शुक्ला – पूर्व आईएएस अफसर, नान घोटाले से लेकर कस्टम मिलिंग तक में संदिग्ध भूमिका
घोटाले का तंत्र कैसे चलता था भ्रष्टाचार का खेल ?
2021-22 में जब केंद्र सरकार ने 62 लाख मीट्रिक टन धान कस्टम मिलिंग की मंजूरी दी, तब अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर ने राइस मिलर्स से दो किस्तों में लाखों की अवैध वसूली का नेटवर्क खड़ा किया। सभी भुगतान कैश और बेनामी खातों के माध्यम से हुए, जिन्हें छिपाने के लिए लिए कारोबारी और नेताओं की एक ‘सिंडिकेट’ टीम बनाई गई।
क्या आगे और नाम सामने आएंगे?
जांच एजेंसियों का दावा है कि यह घोटाला एक संगठित सिंडिकेट का हिस्सा है, जिसमें राजनीतिक रसूख, नौकरशाही और निजी कंपनियों का गठजोड़ सामने आ रहा है। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान, ईडी की मनी ट्रेल रिपोर्ट और रिमांड नोट में कई चौंकाने वाले नाम दर्ज हैं, जो आने वाले दिनों में सार्वजनिक हो सकते हैं।