सवालों में घिरी जांच की निष्पक्षता, भूपेश सरकार के खास अफसर आशीष श्रीवास्तव पर कार्रवाई नहीं
जांच की आंच तेज़
सस्पेंड अफसरों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही
विशेष संवाददाता भास्कर दूत
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में अब तक की सबसे बाड़ी कार्रवाई हुई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की चार्जशीट दाखिल होने के बाद 22 आबकारी अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के तीखे बयान ने हलचल और बढ़ा दी है “किसी को बख्शा नहीं जाएगा। जानकारों का मानना है कि अब अगला कदम गिरफ्तारी हो सकता है।
नामों की लिस्ट लंबी, जिलों की रेंज बड़ी, हर
स्तर पर फैला था भ्रष्टाचार का जाल
चार्जशीट में इन 22 अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड
संहिता के कई अर्धवन के आरोप लगे हैं। इनमें रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर अम्बिकापुर, मुंगेली, बेमेतरा और दतेवाड़ा जिलों के उपायुक्त, सहायक आयुक्त, जिला आबकारी अधिकारी और सहायक जिला आबकारी अधिकारी शामिल हैं। इनमें अनिमेष नेताम, अरविंद कुमार पाटले, नीतू नोतानी, नोहर सिंह ठाकुर, विजय सेन शमी, प्रमोद कुमार नेताम, विकास गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, राजेश जायसवाल, मजुश्री कसेर, दिनकर वासनिक, आशीष कौसम, सौरभ चख्शी, प्रकाश पाल और रामकृष्ण मिश्रा जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा मोहित जायसवाल, गरीबपाल सिंह दर्दी, इकबाल अहमद खान, जर्नादन सिंह कौरव और नितिन खंडूना जैसे अधिकारियों को भी निलंबित किया गया है। चार्जशीट में भ्रष्टचार निवारण अधिनियम और IPC की कई धाराएं लगाई
सिस्टम में खालीपन, अब जुगाडू जूनियर्स के भरोसे विभाग
22 अधिकारियों की छुट्टी के बाद आबकारी विभाग में अफरा-तफरी मची है। रायपुर जैसे अहम जिले की जिम्मेवारी अब जूनियर अधिकारी राजेश शर्मा जैसे अनुभवहीन कर्मचारियों के कंधों पर है। विभाग में नेतृत्व का संकट है, और इससे नीति-निर्माण और नियंत्रण में बाधाएं आ रही हैं। घोटाले का झटका अब विभागीय संबालन पर साफ दिख रहा है।
गई हैं। सभी को नवा रायपुर में अटैच किया गया है, जहां में सिर्फ जीवन निर्वाह भत्ता पर टिके हैं।
भास्कर दूत
bhaskardoot.com
रायपुर। छत्तीसगढ़ के 3200 करोड़ के शराब घोटाले में ईओडब्लू की चार्जशीट के बाद आबकारी विभाग ने 22 अधिकारियों को निलंबित कर एक बड़ी कार्रवाई की है। लेकिन इस घोटाले के पीछे लंबे समय से चर्चाओं में रहे ‘अपर आबकारी आयुक्त’ आशीष श्रीवास्तव पर अब तक कोई कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है। क्या राजनीतिक पहुंच के चलते उन्हें बचाया जा रहा है? यह मुब तूल पकड़ने लगा है। इन अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरी ने 7 जुलाई 2025 को रायपुर की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में इन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
निलंबित अधिकारियों में उपायुक्त, सहायक आयुक्त, जिला आबकारी अधिकारी और सहायक जिला आबकारी अधिकारी जैसे उच्च पदों पर कार्यरत लोग शामिल हैं। ये अधिकारी रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर,
क्या उन्हें बचाया जा रहा है?
सरकारी हलकों में यह चर्चा तेज है कि आशीष श्रीवास्तव को बचाने की कोशिशें राजनीतिक प्रभाव के चलते हो रही हैं। सवाल यह उठ रहा है कि जब छोटे और मंझीले अधिकारी निलंबित हो सकते हैं, तो एक उच्य फास्थ अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं? क्या यह सेलेक्टिव एक्शन है? या फिर जांच एजेंसियों पर कोई अदृश्य वबाय काम कर रहा है? इस मामले में जिस तरह से चुनिंदा लोगों पर कार्रवाई हुई है, और कुछ प्रभावशाली अफसर जांच से बाहर दिख रहे हैं, उससे पूरे घोटाले की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। क्या इस घोटाले में शामिल हर व्यक्ति को बराबर सजा मिलेगी, या फिर कुछ चेहरे बचा लिए जाएंगे?
और 3200 । बलिचडे छोटे अधिकारी ?
मुंगेली, अम्बिकापुर बेमेतरा दंतेवाड जैसे जिलों में पदस्थ थे इन सभी को अब नया रायपुर स्थित आबकारी आयुक्त कार्यालप में अटैच कर दिया गया है। सरकारी कार्रवाई को पारदर्शिता और ईमानदारों की दिशा में कदम माना जा रहा है, लेकिन इस कार्रवाई में एक नाम का न होना अब चर्चा और संदेह का विषय चन गया है- अपर आयुक्त अशीष श्रीवास्तव।
कौन हैं आशीष श्रीवास्तव और क्यों सवाल उठ रहे हैं?
बताया जाता है कि आशीष श्रीवास्तव न सिर्फ अबकारी विभाग के सबसे ताकतवर अफसरों में शामिल थे, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाते थे। उनके खिलाफ कई बार अंदरूनी विभागीय शिकायतें आई, लेकिन हर बार वह कार्रवाई से बचते रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईओडब्लू की जांच में ऐसे कई दस्तावेज और बयान सामने आए हैं, जिसमें बताया गया है कि सिंडिकेट द्वारा लिए गए फैसलों में श्रीवास्तव की भूमिका अहम रही। बावजूद इसके अब तक उनके खिलाफ न तो चार्जशीट दाखिल की गई है, न ही कोई निलंबन आदेश जारी हुआ है।