छत्तीसगढ़ में NHM कर्मचारियों की बग़ावत : सरकार के वादे अब राख

📰 छत्तीसगढ़ में NHM कर्मचारियों की बग़ावत : सरकार के वादे अब राख में
✍️ लाल टोपी राजू सोनी

राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के हालात अब पूरी तरह से बगावती मोड़ पर पहुँच गए हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के जापान-टोक्यो दौरे से लौटते ही प्रदेश भर के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतर आए हैं। राजनांदगांव कलेक्ट्रेट के सामने सैकड़ों कर्मचारियों ने अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर हल्ला बोल दिया है।

सबसे बड़ा दृश्य तब देखने को मिला जब स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा भेजे गए हड़ताल समाप्त करने के आदेश पत्र को कर्मचारियों ने खुलेआम होली की तरह जलाकर सरकार को चुनौती दे दी। यह स्पष्ट संदेश है कि अब कर्मचारी सरकार की किसी भी धमकी या दिखावे के आदेश से डरने वाले नहीं हैं।

हड़ताल में शामिल कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी के मुखौटे पहनकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, सरकार की सद्बुद्धि के लिए महायज्ञ भी आयोजित किया गया।

गौरतलब है कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले NHM कर्मचारियों से बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन सत्ता में दो साल पूरे होने के बाद भी वे वादे केवल मोदी की गारंटी तक ही सीमित रह गए। नतीजा यह है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। ग्रामीण इलाकों में हालात इतने खराब हैं कि छोटे-छोटे इलाज के लिए भी लोग भटक रहे हैं।

स्वास्थ्य सचिव की ओर से जारी पत्र में साफ लिखा गया है कि हड़ताल में शामिल कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलेगा, लेकिन कर्मचारियों ने इस चेतावनी को सिरे से खारिज कर दिया। आदेश पत्र जलाने के बाद यह साफ हो गया है कि अब कर्मचारी किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

सरकार एक ओर “जनता के स्वास्थ्य” की दुहाई दे रही है, तो दूसरी ओर कर्मचारियों की जायज़ मांगों पर टालमटोल कर रही है। जनता पूछ रही है – क्या यही है भाजपा का स्वास्थ्य मॉडल?

👉 सवाल यह है कि जब डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी ही सड़कों पर उतरेंगे, तो बीमार जनता का इलाज कौन करेगा?
👉 मोदी की गारंटी और भाजपा के वादों पर भरोसा करने वाले ये कर्मचारी अब सरकार को खुला संदेश दे चुके हैं कि वादों से पेट नहीं भरता और न ही परिवार चलता है।

अब देखना यह है कि क्या सरकार हठधर्मिता छोड़कर समाधान का रास्ता निकालेगी या फिर छत्तीसगढ़ की जनता को लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के हवाले छोड़ देगी।