बिहार राजनीतिक भविष्य की प्रयोगशाला है

बिहार नहीं, राजनीतिक भविष्य की प्रयोगशाला है: क्यों मोदी की नजऱ 2025 पर टिकी है?
बिहार की राजनीतिक जमीन फिर गरम हो रही है। लेकिन इस बार लड़ाई सिर्फ सत्ता की नहीं, दिशा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती सक्रियता से साफ हो गया है कि भाजपा 2025 के विधानसभा चुनाव को सिर्फ एक राज्यीय चुनाव नहीं, बल्कि राष्ट्रीय रणनीति का ट्रायल रन मान रही है।नीतीश चेहरा, लेकिन पूरा चुनाव मोदी केंद्रित
हालांकि एनडीए में नीतीश कुमार अब भी औपचारिक नेता हैं, लेकिन भाजपा की रणनीति साफ है — जनता को मोदी की छवि से जोड़ो, और नेतृत्व का संतुलन अपने पाले में रखो।मोदी की अब तक बिहार में 17 से अधिक जनसभाएं हो चुकी हैं, और हर मंच से वह विकास, राष्ट्रवाद और स्थिरता की बात कर रहे हैं। इससे यह तय हो गया है कि मोदी फॉर बिहार भाजपा का चुनावी मंत्र बन चुका है। 2025 का चुनाव या 2029 की तैयारी?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा इस चुनाव को 2029 की नींव मान रही है। 2024 में तीसरी बार सत्ता में आने के बाद पार्टी अब राज्यों में भी स्वतंत्र और पूर्ण बहुमत वाली सरकारें चाहती है।
बिहार में भाजपा की कोशिश है कि सहयोगियों पर निर्भरता घटाकर अपने दम पर सरकार की अगुवाई करे।
जातिगत समीकरण बनाम वैचारिक राजनीति बिहार की राजनीति लंबे समय से जातीय आधार पर चलती रही है — यादव, कुर्मी, दलित, ब्राह्मण, मुस्लिम आदि वर्गों का समीकरण ही सत्ता तय करता रहा है।
मोदी की रणनीति है कि इन समीकरणों को राष्ट्रीय मुद्दों से तोड़ा जाए — जैसे कि
गरीब कल्याण योजनाके तहत सीधे लाभ युवाओं को रोजगार, स्टार्टअप और डिजिटल स्किलिंग से जोडऩा जातिगत आरक्षण के बजाय आर्थिक विकास की बात करना क्रछ्वष्ठ-कांग्रेस की रणनीति पर असर
तेजस्वी यादव और महागठबंधन ने भी मोदी को सीधी चुनौती देने की कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन विपक्ष की अंदरूनी खींचतान और कांग्रेस की कमजोरी उन्हें पीछे धकेल रही है। मोदी की आक्रामक शैली ने विपक्ष को रक्षात्मक मुद्रा में ला दिया है, जो अब भी समाजवाद और जातीय न्याय की पुरानी धारा में अटका हुआ है। बिहार का असर कहां तक जाएगा? बिहार का परिणाम केवल पटना तक नहीं रुकेगा। इसका सीधा असर होगा:
2026 में पश्चिम बंगाल और असम में भाजपा की रणनीति पर2027-29 में तमिलनाडु और महाराष्ट्र में भाजपा के विस्तार पर 2029 के लोकसभा चुनाव में मोदी के उत्तराधिकारी चयन पर भीबिहार अब सिर्फ एक राज्य नहीं, राष्ट्रीय राजनीतिक दिशा का संकेतक बन चुका है। भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह चुनाव सत्ता का अभ्यास नहीं, बल्कि राजनीतिक भविष्य की नींव रखने का अभियान है। बिहार अगर जीता, तो 2029 आसान होगा भाजपा के एक वरिष्ठ रणनीतिकार की यह टिप्पणी बहुत कुछ बयां करती है