— लाल टोपी राजू सोनी
राजनांदगांव।
संस्कारधानी में मीडिया का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। एक समय था जब बड़े-बड़े राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनल राजनांदगांव की खबरों पर एकाधिकार रखते थे, लेकिन अब वही चैनल सोशल मीडिया और खासकर यूट्यूब चैनलों की तेज रफ्तार के सामने फीके पड़ते जा रहे हैं।
बड़े चैनलों के संवाददाता जो कभी यूट्यूब पत्रकारों को हिकारत की नजर से देखते थे, आज वही लोग अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी खबर यूट्यूब के माध्यम से भेज रहे हैं और फिर खुद ही अपनी पीठ थपथपाने में लगे हुए हैं।
मोबाइल में खबर, टीवी बना शोपीस
अब राजनांदगांव की आम जनता अपने हाथों में मोबाइल लेकर यूट्यूब चैनलों पर हर छोटी-बड़ी खबर 10 मिनट के भीतर देख रही है। दूसरी ओर, प्रमुख चैनल जब दो दिन बाद वही खबर दिखाते हैं, तब तक वह ‘बासी’ हो चुकी होती है। यही कारण है कि टीवी अब केवल ड्राइंग रूम की शोपीस बनकर रह गया है।
यूट्यूब चैनल बना आम जनता की आवाज़
शहर के यूट्यूब पत्रकार अपने संसाधनों के सीमित होने के बावजूद, दिन-रात मेहनत करके सच्ची और तेज खबरें आम जन तक पहुंचा रहे हैं। प्रेस रिपोर्टर क्लब के जरिए शहर में यूट्यूब चैनलों की संख्या में जबरदस्त इज़ाफा हुआ है। खबरों की रफ्तार, आम जनता की भागीदारी, और तुरंत फीडबैक ने यूट्यूब चैनलों को पारंपरिक मीडिया से कहीं आगे कर दिया है।
बड़े चैनलों में बचा केवल ‘भगवत लोलिपॉप’?
आज हालत यह है कि बड़े चैनलों में बार-बार वही घिसी-पिटी खबरें, प्रवचन, और मनोरंजन के लॉलीपॉप परोसे जा रहे हैं। जनता अब ‘सच्ची खबर’ देखना चाहती है, जो उन्हें यूट्यूब पर मिल रही है—तेज, कसी हुई और स्थानीय सरोकारों से जुड़ी हुई।
राजू सोनी की 8 साल पुरानी पहल आज बन गई बदलाव की मिसाल
लगभग आठ साल पहले, जब लाल टोपी राजू सोनी ने यूट्यूब पत्रकारिता की शुरुआत की थी, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन यह माध्यम बड़े-बड़े चैनलों को पछाड़ देगा। लेकिन आज यह हकीकत बन चुकी है।
अब वक्त आ गया है कि बड़े मीडिया हाउस इस बदलते परिदृश्य को स्वीकारें और जनता से जुड़े सवालों को प्राथमिकता दें। वरना यूट्यूब चैनल जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं, वह दिन दूर नहीं जब पारंपरिक मीडिया केवल इतिहास की किताबों में सिमट जाएगा।