म्युनिसिपल स्कूल में फर्जी पोस्टिंग का खुलासा: क्या होगी जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई ? – परीवीक्षा अवधि में प्रतिनियुक्ति, नियमों की खुली उड़ान, शिक्षा विभाग बना “स्वयंभू”

शिक्षा विभाग सीरीज -3


शशिकांत सनसनी छत्तीसगढ़

राजनांदगांव जिले में शिक्षा विभाग की मनमानी और नियम विरुद्ध नियुक्तियों का एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। मामला है नगर निगम के अधीन पीएमश्री सर्वेश्वरदास अंग्रेजी माध्यम स्कूल का, जहाँ एक शिक्षिका की नियुक्ति व नियमितीकरण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

❗ क्या है पूरा मामला?

शिक्षिका नवनीत जोशी की नियुक्ति 25 अगस्त 2021 को शासकीय उच्च माध्यमिक शाला बागरेकसा, विकासखंड डोंगरगढ़ में सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) के रूप में परीवीक्षा अवधि में की गई थी। परंतु उन्होंने इस स्कूल में आज तक जॉइनिंग नहीं दी, और वह पद अब भी रिक्त है।
इसके बावजूद, उन्होंने 14 सितंबर 2021 को शासकीय उच्च माध्यमिक शाला सुरगी में जॉइनिंग दी — जहाँ भी वे नियमित रूप से कार्यरत नहीं रहीं। आश्चर्य की बात यह है कि परीवीक्षा अवधि में रहते हुए ही, उन्हें नियमों के खिलाफ “प्रतिनियुक्ति” पर नगर निगम स्कूल (अब पीएमश्री स्कूल) भेज दिया गया।

⚠️ नियमों की धज्जियां:
परिवीक्षा अवधि के दौरान स्थानांतरण या प्रतिनियुक्ति स्पष्टतः नियम विरुद्ध है।
बावजूद इसके, जिला शिक्षा अधिकारी प्रभारी प्रवास सिंह बघेल द्वारा दिनांक 5 नवम्बर 2024 को नवनीत जोशी का नियमितीकरण आदेश जारी कर दिया गया।
यह नियमितीकरण उसी स्कूल में किया गया जहाँ उनकी मूल नियुक्ति कभी हुई ही नहीं।
इतना ही नहीं, पीएमश्री स्कूल में पहले से एक विज्ञान शिक्षक पदस्थ हैं, फिर भी नवनीत जोशी को उसी पद पर तैनात किया गया, जो सीधा दोहरी नियुक्ति और पद की अतिलाभ स्थिति को दर्शाता है।
🧾 कलेक्टर तक पहुंची शिकायत, फिर भी चुप्पी:
शिकायतकर्ता ने पूरी दस्तावेज़ी जानकारी के साथ स्थानीय कलेक्टर को पूर्व में अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। नतीजतन, शिकायतकर्ता अब राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सीधे मुलाकात करने जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री के पास शिक्षा विभाग का प्रभार भी है और उन्होंने राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का संकल्प लिया है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या मुख्यमंत्री स्वयंभू बन चुके शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई कर पाएंगे या यह मामला भी राजनीतिक दबाव की भेंट चढ़ जाएगा।
📌 प्रश्न उठते हैं —
क्या बिना मूल ज्वाइनिंग के किसी कर्मचारी को दूसरी जगह प्रतिनियुक्त किया जा सकता है?
क्या परिवीक्षा अवधि में नियमितीकरण नियमों के विरुद्ध नहीं है?
जब पद रिक्त नहीं है, तब उसी पद पर दूसरी नियुक्ति कैसे हो सकती है?
क्या शिक्षा विभाग में बैठे अधिकारी जानबूझकर नियमों को तोड़कर मनमाफिक नियुक्तियां कर रहे हैं?
यह मामला न केवल एक फर्जी नियुक्ति का है, बल्कि यह शिक्षा विभाग में गहराते प्रशासनिक भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण की ओर भी इशारा करता है। यदि अब भी कार्रवाई नहीं होती, तो यह भविष्य के लिए एक खतरनाक मिसाल बन जाएगी।