
सूत्रों का सनसनीखेज खुलासा — बिना कलेक्टर अनुमोदन के ट्रायबल शिक्षकों को स्वामी आत्मानंद और पीएमश्री स्कूलों में दी जा रही है ज्वाइनिंग
शहरी स्कूलों में पदस्थापना के नाम पर लाखों की वसूली का आरोप
जिला शिक्षा अधिकारी की मनमानी उजागर
✍️ शशिकांत | सनसनी रिपोर्ट
राज्य और केंद्र सरकारें शिक्षा को लेकर “नवा छत्तीसगढ़” की अवधारणा पर कार्य करते हुए करोड़ों रुपए के आयोजनों, प्रशिक्षण, और मोटिवेशनल कार्यक्रमों में निवेश कर रही हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य बच्चों के शैक्षिक स्तर को ऊपर उठाना है। वहीं दूसरी ओर, ट्रायबल इलाकों के स्कूल शिक्षक विहीन होते जा रहे हैं — कारण है एक सुनियोजित “प्रतिनियुक्ति घोटाला”, जिसमें कुछ अधिकारी खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ट्रायबल विकासखंडों में पदस्थ शिक्षकों को नियमों को ताक पर रखकर शहरी क्षेत्र के स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय और पीएमश्री स्कूलों में प्रतिनियुक्त किया जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन नियुक्तियों में कलेक्टर — जो कि स्कूल समिति के चेयरमैन होते हैं — का अनुमोदन तक नहीं लिया गया है।
डीपीआई को भेजे गए प्रस्तावों में कलेक्टर अनुमोदन नदारद है, जिससे साफ जाहिर होता है कि चेयरमैन को बायपास कर पूरा खेल रचा जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया में हर ट्रांसफर या प्रतिनियुक्ति के एवज में लाखों रुपये तक वसूले जा रहे हैं।
👉 क्या है नियम?
शासकीय नियमानुसार, किसी भी शिक्षक को एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रतिनियुक्ति हेतु स्थानांतरण करने के लिए जिला कलेक्टर का अनुमोदन अनिवार्य है। लेकिन इस पूरे मामले में उस नियम की सीधी अवहेलना हो रही है।
👉 बड़ा सवाल
- क्या कलेक्टर को दरकिनार कर भेजे गए प्रस्तावों पर डीपीआई ने संज्ञान लिया?
- क्या यह शिक्षक हित में है या सिर्फ आर्थिक लाभ के लिए किया जा रहा है?
- ट्राइबल क्षेत्र के बच्चों का भविष्य किसके हवाले?
इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय शिक्षकों में आक्रोश है, और कई संगठन अब इस मुद्दे को लेकर मुखर हो रहे हैं। मामले की विस्तृत जानकारी और दस्तावेजी प्रमाण के साथ ‘सनसनी’ जल्द ही अगली कड़ी में बड़ा खुलासा करेगी।