✍️ लाल टोपी राजू सोनी
राजनांदगांव।
संस्कारधानी कहे जाने वाला राजनांदगांव इन दिनों डर और अनिश्चितता के माहौल में सांस ले रहा है। शिवनाथ नदी में वर्षों से जारी अवैध रेत खनन अब राजनीतिक, प्रशासनिक और आपराधिक गठजोड़ के पर्दाफाश में बदलता दिख रहा है।
प्रशासन लगातार कार्रवाई के मोड में है — एक के बाद एक गिरफ्तारी हो रही है, शासन के कर्मचारी निलंबित किए जा रहे हैं और पुलिस महकमे की साँसे फूली हुई हैं। वहीं, खनन माफिया अब खौफ के साए में हैं।
हाल ही में खनिज अधिकारी प्रवीण चंद्राकर का निलंबन और उनके पास से तीन मोबाइल जब्त होने के बाद जांच और भी गंभीर होती जा रही है। कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) खंगाले जा रहे हैं, जिनसे कई चौंकाने वाले खुलासे संभावित हैं।
विधानसभा अध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र में हुई गोलीबारी की घटना ने पूरे मामले को और भी गरमा दिया है। विपक्ष इसकी गंभीर जांच की मांग कर रहा है, वहीं कांग्रेस, भाजपा, पुलिस, पत्रकार और खनन माफिया — सभी अपने-अपने राजनीतिक बचाव में उलझे नजर आ रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधायक डॉ. रमन सिंह ने साफ कहा है कि इस पूरे प्रकरण में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी पद या प्रभाव वाला क्यों न हो।
शहर में अब एक अनकहा डर पसरा हुआ है — कौन अगला निशाना बनेगा, कौन कब बेनकाब होगा, इसकी चिंता हर किसी को है। यही वजह है कि आज राजनांदगांव खौफ की सांसें ले रहा है ।