रेत के खेल में फिर एक बार पुलिस, पत्रकार और राजनीति के गठजोड़ पर उठे सवाल
-*लाल टोपी राजू सोनी
राजनांदगांव
राजनांदगांव -वार्ड नंबर 49 मोहड़ में हाल ही में हुई गोलीकांड की घटना अब पूरे छत्तीसगढ़ में सुर्खियों में है। मामला विधानसभा अध्यक्ष के ही विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा है, जहां अवैध रेत खनन को लेकर लंबे समय से नाराजगी और हलचल है। लेकिन इस बार मामला गंभीर तब हो गया जब आम ग्रामीणों पर खुलेआम फायरिंग की गई। यह पहली बार है जब रेत माफियाओं ने ग्रामीणों को भी नहीं बख्शा।
पुलिस ने मामले में कार्रवाई का दावा करते हुए एक जेसीबी ऑपरेटर और हाईवे मशीन उपलब्ध कराने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपी अभिनय तिवारी उर्फ “चीनू महाराज” के पास से किराए की मशीनें बरामद की गई हैं। पुलिस ने इन्हें मुख्य आरोपी का सहयोगी बताया है।
लेकिन शहर में चर्चा इस बात की है कि सिर्फ बलि का बकरा पकड़ा गया है, असली खिलाड़ी अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। घटना के समय मध्यप्रदेश नंबर की संदिग्ध गाड़ी, एक पत्रकार और एक वर्दीधारी की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस ने वर्दीधारी को सस्पेंड कर दिया है, पर बाकी आरोपितों के संबंध में अभी जांच चल रही है।
कई सवालों के घेरे में प्रशासन
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने जो बातें बताईं, उससे लोगों के मन में और भी ज्यादा भ्रम पैदा हो गया है।
आखिर असली फायरिंग करने वाला कौन था?
पत्रकार की भूमिका क्या थी?
मध्यप्रदेश की गाड़ी वहां कैसे पहुंची?
और सबसे बड़ा सवाल — खनिज विभाग क्यों चुप है?
स्थानीय पार्षद, ड्राइवर, कंडक्टर और मशीन मालिक की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन जिनके इशारे पर खेल खेला जा रहा है, वे अब भी राजनीतिक छांव में सुरक्षित हैं।
खनिज विभाग की चुप्पी, कानून पर भारी
खनिज विभाग को इस अवैध खनन की पूरी जानकारी है। फिर भी विभाग की चुप्पी आम जनता और कानून दोनों के साथ छल जैसी प्रतीत हो रही है। गोलीकांड में विभाग की भूमिका की जांच भी जरूरी है।
संस्कारधानी में सस्पेंस बरकरार
राजनांदगांव की संस्कारधानी छवि पर इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या इस बार भी असली गुनहगार कानून की गिरफ्त से बाहर रहेंगे? क्या बलि का बकरा ही जेल जाएगा और बाकी लोग सत्ता और वर्दी की आड़ में बच जाएंगे?
फिलहाल तो मामला सस्पेंस से भरा हुआ है, और जांच की राह में कई मोड़ बाकी हैं।
लाल टोपी राजू सोनी राजनांदगांव