“संसाधन नहीं तो काम नहीं” सिद्धांत पर आधारित 17 सूत्रीय मांगों को लेकर तहसीलदारों-नायब तहसीलदारों का विरोध प्रदर्शन
रिपोर्टर: शशिकांत सनसनी राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
राजनांदगांव – छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ, जिला इकाई राजनांदगांव के बैनर तले जिले के तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने सोमवार को कलेक्टोरेट कार्यालय के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। “संसाधन नहीं तो काम नहीं” के सिद्धांत के तहत यह विरोध प्रदर्शन प्रदेशभर में लम्बे समय से लंबित 17 सूत्रीय मांगों को लेकर किया गया।
धरना प्रदर्शन के पश्चात प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शासन ने 26 जुलाई 2025 तक इन मांगों पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की, तो आगे संभागीय और राज्य स्तरीय आंदोलन किया जाएगा।
संघ का कहना है कि तहसील कार्यालयों में गंभीर रूप से स्टाफ की कमी है। कई तहसीलों में तहसीलदार व कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद पद रिक्त पड़े हैं। वहीं कई स्थानों पर सरकारी वाहन तक उपलब्ध नहीं हैं। जिन कार्यालयों में वाहन हैं, उन्हें ही डीजल-पेट्रोल की सुविधा दी जाती है, जबकि बाकी अधिकारी अपनी जेब से वाहन चला रहे हैं।
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकांश पटवारियों के पास एक से अधिक प्रभार हैं, लेकिन उन्हें नियमानुसार अतिरिक्त भत्ता नहीं मिल रहा है। इन व्यावहारिक और जमीनी समस्याओं के निराकरण के लिए लंबे समय से शासन का ध्यान खींचा जा रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
संघ की प्रमुख 17 सूत्रीय मांगों में शामिल हैं:
सभी तहसीलों में स्वीकृत पदों की शीघ्र नियुक्ति।
तहसीलदारों को डिप्टी कलेक्टर पद पर 50:50 अनुपात में पदोन्नति।
नायब तहसीलदार पद को राजपत्रित घोषित करना।
ग्रेड पे में शीघ्र सुधार।
शासकीय वाहन/चालक या वाहन भत्ता की व्यवस्था।
निलंबन मामलों की 15 दिनों में जांच और बहाली।
न्यायालयीन मामलों को जनशिकायत प्रणाली से अलग किया जाए।
न्यायिक आदेशों पर मीडिया ट्रायल पर रोक।
कोर्ट कार्य हेतु अलग समय/व्यवस्था।
आउटसोर्सिंग से स्टाफ नियुक्ति हेतु तहसीलदार को अधिकृत किया जाए।
तकनीकी कार्यों के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटरों की नियुक्ति।
एसएलआर/एएसएलआर की पुन: बहाली।
गोपनीयता हेतु शासकीय मोबाइल नंबर और डिवाइस।
प्रत्येक तहसील में सुरक्षाकर्मी व फील्ड भ्रमण हेतु वाहन।
दुर्घटना/आपदा में मौके पर मुआवजा हेतु स्पष्ट गाइडलाइन।
संघ को शासकीय मान्यता।
राजस्व न्यायालयों के सुदृढ़ीकरण हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन।
संघ ने साफ तौर पर कहा है कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि कार्य प्रणाली की सुधार और प्रशासनिक सुविधा के लिए है। यदि इन मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं हुआ, तो आगे व्यापक, उग्र और निर्णायक आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।