अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा के इशारे पर बना था ‘शराब सिंडिकेट’

ईओडब्ल्यू जांच में हुआ बड़ा खुलासा: शराब की हर पेटी पर वसूला गया 140 रुपये का कमीशन, बनीं करोड़ों की संपत्तियां
शशिकांत सनसनी छत्तीसगढ़
🔍 घोटाले की पृष्ठभूमि:
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुए 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की परतें एक-एक कर खुल रही हैं। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की जांच से स्पष्ट हुआ है कि यह घोटाला एक संगठित “शराब सिंडिकेट” के जरिये किया गया, जिसकी अगुवाई अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा ने की।
🧠 मास्टरमाइंड कौन?:
अनवर ढेबर – रायपुर के बड़े होटल कारोबारी, जिन्होंने इस सिंडिकेट की रचना की।
अनिल टुटेजा – उस समय के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव, जिन्होंने प्रशासनिक संरक्षण प्रदान किया।
इन दोनों ने ही यह तय किया कि किस अधिकारी, सप्लायर और एजेंट को कितनी हिस्सेदारी मिलेगी।
💰 कैसे हुई कमाई?
शराब की हर पेटी पर 140 रुपये का कमीशन वसूला गया।
इसी आधार पर करोड़ों की अवैध कमाई कर अलग-अलग अफसरों ने जमीन, मकान, होटल और व्यापार में निवेश किया।
अधिकारी का नाम अवैध कमाई (रु. में)
नोहर सिंह ठाकुर ₹11.06 करोड़,नीतू नोतानी ₹7.78 करोड़,अरविंद कुमार पटेल ₹7.44 करोड़,नवीन प्रताप सिंह तोमर ₹6.70 करोड़,राजेश जायसवाल ₹5.78 करोड़,अनिमंड नेताम ₹4.44 करोड़,मंजू कसेर ₹1.63 करोड़,कुल अवैध कमाई ₹88 करोड़+
📜 संपत्ति की हेरा-फेरी:
अफसरों ने संपत्तियां खुद के नाम पर नहीं, बल्कि रिश्तेदारों और दोस्तों के नाम पर खरीदीं।
मंजू कसेर ने 25 संपत्तियां 20 अलग-अलग नामों पर खरीदीं (रामचंद्र सारस, माला सिंह आदि)।
प्रमोद नेताम ने अपनी संपत्ति इंदिरा, शिशिर और इंशा नेताम के नाम पर खरीदी।
📦 घोटाले में शामिल अन्य बड़े नाम:
एपी त्रिपाठी – नकली होलोग्राम व कैश कलेक्शन नेटवर्क के प्रमुख।
विकास अग्रवाल – नकली होलोग्राम से शराब सप्लाई।
अरविंद सिंह – नकली बोतल व होलोग्राम निर्माण में संलिप्त।
जिलेक सिंह – शराब ठेकेदार, होटल कारोबारी और कालेधन को सफेद करने का माध्यम।
📂 जांच और कार्रवाई:
200 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज।
कई अफसरों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आय से अधिक संपत्ति के तहत मुकदमा।
कई अफसरों की अचल संपत्तियां जब्त करने की प्रक्रिया शुरू।
कुल घोटाले की राशि में 44 करोड़ से अधिक की बरामदगी अभी तक।