डोंगरगांव के बड़े नेता के संरक्षण में उपाध्यक्ष रोहित गुप्ता की दबंगई

डोंगरगांव के बड़े नेता के संरक्षण में उपाध्यक्ष रोहित गुप्ता की दबंगई

CMO कार्यालय में घुसकर फाइलें फेंकी, टेंडर को लेकर जमकर विवाद

शशिकांत सनसनी छत्तीसगढ़

डोंगरगांव।
नगर पंचायत डोंगरगांव में टेंडर प्रक्रिया को लेकर मंगलवार को एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। नगर पंचायत उपाध्यक्ष रोहित गुप्ता और मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) विनम्र जेमा के बीच नगर पंचायत कार्यालय में जमकर बहस हुई। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, उपाध्यक्ष रोहित गुप्ता अचानक सीएमओ के चेंबर में घुस आए और टेबल पर रखी सरकारी फाइलों को इधर-उधर फेंकना शुरू कर दिया। इस दौरान कर्मचारियों और अन्य अधिकारियों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

सूत्रों के अनुसार, विवाद की जड़ एक टेंडर प्रक्रिया से जुड़ी तकनीकी बातों को लेकर थी, जिसमें उपाध्यक्ष की कुछ आपत्तियाँ थीं। लेकिन बातचीत का स्तर देखते ही देखते इतना बिगड़ गया कि स्थिति उग्र हो गई।
इस घटना ने प्रशासनिक गरिमा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

गौरतलब है कि रोहित गुप्ता को भारतीय जनता पार्टी द्वारा अनुशासनहीनता के चलते 6 वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। बावजूद इसके वे खुद को नगर पंचायत का “वास्तविक चेहरा” बताकर लगातार प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

प्रभावशाली नेता का नाम आ रहा सामने

विश्वस्त सूत्रों का दावा है कि रोहित गुप्ता को डोंगरगांव के एक बड़े और प्रभावशाली नेता का संरक्षण प्राप्त है, जिसकी वजह से वे किसी कार्रवाई से बेखौफ हैं। इसी राजनीतिक संरक्षण के चलते वे आए दिन कर्मचारियों और अधिकारियों पर दबाव बनाते रहते हैं।

कर्मचारियों में असुरक्षा का माहौल

इस पूरी घटना के बाद नगर पंचायत कर्मचारियों में भय और असुरक्षा का माहौल है। कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे अब कार्यालय में स्वतंत्र रूप से कार्य करने में हिचक महसूस कर रहे हैं।

जनप्रतिनिधियों और नागरिकों की प्रतिक्रिया

इस घटना की जानकारी मिलते ही कई सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों ने इस कृत्य की निंदा की और प्रशासन से मांग की कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करती हैं और प्रशासनिक कामकाज में बाधा उत्पन्न करती हैं।
यह घटना प्रशासनिक शिष्टाचार और अनुशासन की दृष्टि से अत्यंत गंभीर मानी जा रही है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और शासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।