
रिपोर्ट: अनमोल कुमार
पटना। अंतरराष्ट्रीय संत बौद्धिक मंच के राष्ट्रीय सचिव एवं मीडिया प्रभारी पीठाधीश्वर स्वामी श्यामानंद महाराज ने मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों को दोषमुक्त किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “न्यायालय के इस निर्णय से यह सिद्ध हो गया है कि भगवा कभी आतंक का प्रतीक नहीं हो सकता, बल्कि यह शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए विस्फोट के बाद महाराष्ट्र एटीएस द्वारा भगवा आतंकवाद की जो धारणा गढ़ी गई थी, वह अब न्यायपालिका द्वारा खारिज कर दी गई है।
इस ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। श्यामानंद महाराज ने आरोप लगाया कि इस प्रकरण में न केवल फर्जी तरीके से गिरफ्तारी हुई, बल्कि “पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया।”
उन्होंने दावा किया कि “उस समय के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी परमवीर सिंह द्वारा साध्वी प्रज्ञा को अमानवीय यातनाएं दी गईं। यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने की कोशिश भी की गई थी।”
न्यायालय के निर्णय का स्वागत
स्वामी श्यामानंद ने कहा कि न्यायालय द्वारा सभी आरोपियों को दोषमुक्त किया जाना न केवल सत्य की विजय है, बल्कि यह हिंदू, हिंदुत्व और सनातन परंपरा की प्रतिष्ठा की पुनः स्थापना भी है।
उन्होंने मांग की कि अब यह सवाल उठना चाहिए कि “जिन लोगों ने इस केस में झूठी कहानियां गढ़ीं, जिन अधिकारियों ने निर्दोषों को प्रताड़ित किया—उन्हें न्याय के कठघरे में कब लाया जाएगा?”
सवाल अभी बाकी हैं…
पीठाधीश्वर ने यह भी कहा कि साध्वी प्रज्ञा को जो दर्द और अपमान सहना पड़ा, उसके लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने पूछा:
“क्या परमवीर सिंह जैसे अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी? और जिन लोगों ने संगठनात्मक स्तर पर साजिशें रचीं, क्या वे कभी जवाबदेह होंगे?”
मालेगांव ब्लास्ट केस 2008 में हुआ था, जिसमें छह लोगों की मृत्यु हुई थी। महाराष्ट्र एटीएस ने इसे कथित रूप से “भगवा आतंकवाद” से जोड़कर जांच की थी। 17 वर्षों की लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद हाल ही में सभी सात आरोपियों को कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया