पुणे में आयोजित हुआ भव्य संत समागम, नेपाल-इंडोनेशिया सहित अनेक देशों से साधु-संत हुए शामिल
रिपोर्ट: अनमोल कुमार
पुणे। अंतरराष्ट्रीय संत बौद्धिक मंच के तत्वावधान में पुणे में एक भव्य संत समागम का आयोजन किया गया, जिसमें भारत सहित नेपाल, भूटान और इंडोनेशिया से अनेक संत-महात्माओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय संत बौद्धिक मंच के अध्यक्ष स्वामी स्वदेशानंद ब्रह्मगिरि महाराज ने की।
समागम को संबोधित करते हुए स्वामी स्वदेशानंद ने कहा,
“हिंदू राष्ट्र हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हम भारत और नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित कर अखंड भारत की स्थापना करना चाहते हैं। हमारी कोशिश है कि संसद में संतों को भेजकर ‘संत संसद’ की स्थापना की जाए, जिससे नीति-निर्माण में सनातन मूल्यों की भागीदारी सुनिश्चित हो।”
सम्मेलन का आयोजन और उद्देश्य
इस आयोजन की जानकारी मंच की राष्ट्रीय सचिव पीठाधीश्वर स्वामी श्यामानंद महाराज ने दी। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष यमराज खरात के नेतृत्व और नरेंद्र मोदी विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा पूर्व आरएसएस प्रचारक रवि चाणक्य के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस अवसर पर लोकशाहीर अन्ना भाऊ साठे जी की जयंती पर शहर में भव्य रैली निकाली गई, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज, बाबा साहेब अंबेडकर और अन्ना भाऊ साठे की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
मुख्य अतिथियों के विचार
रवि चाणक्य ने स्वामी स्वदेशानंद की नेतृत्व क्षमता की सराहना करते हुए कहा:
“इतने कम समय में इतना व्यापक संगठन खड़ा करना केवल स्वामी स्वदेशानंद जैसे दृढ़ संकल्प वाले संत के लिए ही संभव है। यह संगठन अब भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल, भूटान और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी सक्रिय है।”
सम्मेलन में मौजूद विशिष्ट संत और प्रतिनिधि
समागम में महंत देवगिरि महाराज, श्री श्री 1008 श्री शक्ति महाराज, श्री श्री 1008 श्री सोमनाथ महाराज, गुजरात प्रदेश अध्यक्ष शेयर भाई देशाई, प्रकाश पंड्या, अरुण शुक्ला (युवा शाखा अध्यक्ष), डॉ. अरुण भारद्वाज, धर्मेन्द्र गोस्वामी, ब्रजेश पांडे सहित कई संतों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संबोधन दिया।
सम्मेलन का समापन और संकल्प
कार्यक्रम का समापन स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा उपस्थित संतों को अंगवस्त्र व सम्मान पत्र देकर सम्मानित करने के साथ हुआ। आयोजन ने यह संदेश दिया कि सनातन संस्कृति की रक्षा और राष्ट्रनिर्माण के लिए संत समाज सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है।