तीन पतियों ने छोड़ा, बॉयफ्रेंड से हुई प्रेग्नेंट तो उसने भी काटी कन्नी, फिर पता चला ऐसा राज… महिला ने तंग आकर 6 महीने मासूम को ही मार डाला

रिपोर्टर : शशिकांत सनसनी | मुंबई, महाराष्ट्र
मुंबई के तिलक नगर इलाके से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 43 वर्षीय महिला ने अपने छह महीने के बेटे की तकिए से दबाकर हत्या कर दी। महिला की मानसिक और सामाजिक परिस्थिति की गहराई में उतरने पर जो वजहें सामने आईं, उसने पुलिस को भी सन्न कर दिया।

बेरोजगारी, रिश्तों की टूटन और जानलेवा बीमारी बनी कारण

पुलिस जांच में महिला ने बताया कि तीन पतियों से अलगाव, फिर एक बॉयफ्रेंड से संबंध और उससे गर्भवती होने के बाद उसका साथ छोड़ देना — ये सब उसकी मानसिक स्थिति को लगातार कमजोर करते गए।
बच्चे के जन्म के बाद उसे पता चला कि वह और उसका बेटा दोनों HIV पॉजिटिव हैं। इलाज, बेरोजगारी और सामाजिक अस्वीकार्यता से घिरी महिला ने कथित तौर पर यह खौफनाक कदम उठाया।

हत्या के बाद किया आत्महत्या का प्रयास, दूसरी महिला पर भी हमला

तिलक नगर पुलिस के अनुसार, महिला ने पहले मासूम बेटे को मौत के घाट उतारा, फिर उसी दिन एक अन्य महिला — जिसने कभी उसे काम पर रखा था — पर चाकू से हमला कर दिया। इस हमले की जानकारी कंट्रोल रूम को दी गई।
पुलिस जब मौके पर पहुंची तो महिला को हमले के प्रयास में रंगे हाथों गिरफ्तार किया। घर की तलाशी में झूले में मासूम का शव मिला।

पुलिस ने किया गिरफ्तार, अदालत में पेशी

पुलिस ने महिला को भारतीय दंड संहिता की संगीन धाराओं के तहत गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। अदालत में महिला ने कहा:
“मैं एक जानलेवा बीमारी से ग्रसित हूं। मेरे तीन पति मुझे छोड़ चुके हैं। बॉयफ्रेंड ने भी छोड़ दिया। जब मुझे और मेरे बेटे को HIV पॉजिटिव बताया गया, तो मैं टूट गई। मेरे पास न पैसा था, न सहारा। मैं जी नहीं पा रही थी, इसलिए बेटे को मार डाला।”
सामाजिक तंत्र पर भी उठे सवाल
यह मामला मानसिक स्वास्थ्य, महिलाओं की सुरक्षा, चिकित्सा सुविधा और सामाजिक समर्थन तंत्र की गंभीर असफलता की ओर इशारा करता है। सवाल यह भी उठता है कि इस महिला तक समय रहते कोई काउंसलिंग, सहायता या सरकारी योजना क्यों नहीं पहुंची?

यह एक केवल “अपराध” नहीं बल्कि एक महिला की सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक आत्महत्या की लंबी कहानी है, जिसे समाज, प्रशासन और स्वास्थ्य व्यवस्था ने अनदेखा किया। यदि इस मामले को केवल कानूनी नजर से देखा गया तो कई जरूरी सवाल अनुत्तरित रह जाएंगे।