राखियों में लिपटा संदेश – छात्राओं की सेना के लिए अनोखी पहल”

रिपोर्टर – शशिकांत सनसनी डौंडीलोहारा ब्लॉक, ग्राम बड़गांव
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की डोर को और मजबूत करता है। लेकिन इस पर्व पर देश की सरहदों की रक्षा कर रहे कई जवान अपने घर नहीं लौट पाते। ऐसे में बालोद जिले की छात्राओं ने आपके दिए गए इनपुट के आधार पर यह है एक पूर्ण टीवी न्यूज़ पैकेज स्क्रिप्ट — जिसमें एंकरिंग, वॉइसओवर, बाइट्स और समापन सभी शामिल हैं। पेश है:

अनोखी मिसाल पेश की है। बड़गांव हाईस्कूल की छात्राओं ने अपने हाथों से सैकड़ों राखियां बनाकर उन्हें एक बड़े रिबन में सजाया और उन पर देश के जवानों के लिए भावनात्मक संदेश लिखे। इन राखियों को स्काउट गाइड के माध्यम से सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए भेजा गया है।
वीडियो में दिख रहीं ये स्कूली छात्राएं सिर्फ राखियां नहीं, एक भावना और समर्पण बांध रही हैं — देश के जवानों के लिए।
बालोद जिले के डौंडीलोहारा ब्लॉक के बड़गांव हाईस्कूल की छात्राओं ने सैकड़ों राखियों को एक लंबे रिबन में पिरोया और उसमें अपने दिल से निकले संदेश लिखे।
इन राखियों के साथ छात्राओं की यही कामना है —
“जवान सुरक्षित रहें, उनका बलिदान व्यर्थ न जाए, और वे जहां भी रहें, बहनों की यह ममता उन्हें हर पल याद दिलाती रहे।”
रक्षाबंधन में जब कई जवान अपने घर नहीं लौट पाते, तब इन राखियों की डोर उनके भावनात्मक जुड़ाव को और गहरा करती है।
हीना साहू, कक्षा 10वीं
“ये राखी हमारे उन भाइयों के लिए है जो सरहदों पर हमारी सुरक्षा कर रहे हैं। हम चाहती हैं कि ये राखी उनकी कलाई में बंधे और उन्हें हमारी याद दिलाए।”
सोनाली, कक्षा 11वीं
“हमने बहुत प्यार और भावना से ये राखियां बनाई हैं। इससे हम अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं।”
टिंकल देशमुख, कक्षा 12वीं
“रक्षाबंधन का सही अर्थ तब ही है जब हम उन भाईयों को याद करें जो दूर रहकर देश की सेवा में लगे हैं।”
इस पूरे अभियान में स्काउट गाइड टीम ने छात्राओं का पूरा सहयोग किया। इन राखियों को रायपुर के स्काउट गाइड कार्यालय भेजा गया, जहां से यह राखियां देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात जवानों तक पहुंचाई जाएंगी।

वहीं जो आर्मी जवान फिलहाल छुट्टियों में घर लौटे हैं, उन्हें छात्राओं ने अपने हाथों राखी बांधी और उनके चेहरे पर सच्ची खुशी दिखी।
लव कुमार, आर्मी जवान

“हम सरहद पर हैं, लेकिन ये राखियां हमें बताते हैं कि हमारा परिवार हर जगह है — इन बच्चियों के रूप में भी। बहुत भावुक कर देने वाला क्षण है।”
हीरमन चौरके, व्याख्याता, बड़गांव स्कूल
“छात्राओं की यह पहल बेहद अनुकरणीय है। यह उनके अंदर देशभक्ति और सेवा भावना को दर्शाता है।”
गजेंद्र कुमार, आर्मी जवान

“राखी बांधना सिर्फ परंपरा नहीं, भावनाओं का जुड़ाव है। हम दूर रहते हुए भी अपनों के इतने करीब महसूस कर रहे हैं।”

इस पहल ने केवल राखियां नहीं भेजीं, बल्कि एक भावनात्मक रिश्ता भी भेजा है — उन सैनिकों तक जो अपने परिवार से दूर देश की सेवा में लगे हैं।
छात्राओं की यह छोटी-सी कोशिश एक बड़े संदेश के रूप में सामने आई है —
“हम सब एक हैं, और देश की रक्षा करने वाले हमारे सच्चे रक्षक हैं।”

देश के जवानों के लिए यह राखी सिर्फ धागा नहीं, बहनों की ममता और सुरक्षा की प्रार्थना है। बालोद की इन बच्चियों ने यह साबित कर दिया है कि देशभक्ति किताबों तक सीमित नहीं — वह हर दिल में धड़कती है, और हर हाथ से कुछ अच्छा करने की प्रेरणा देती है।