बोरे-बासी में 9 करोड़ की बासी मलाई ? “” 32 रुपये की थाली पर 1795 का खर्च! विपक्ष ने कहा – “ये सम्मेलन था या घोटालों का भोज?”

✍️ विशेष संवाददाता: शशिकांत सनसनी | रायपुर

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए ‘बोरे-बासी तिहार’ को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। 1 मई 2023 को श्रमिक दिवस पर आयोजित इस ‘सम्मेलन’ में सिर्फ नाम के बोरे-बासी पर 8.98 करोड़ रुपये फूंक दिए गए। चौंकाने वाली बात – प्रति श्रमिक भोजन का खर्च सिर्फ 32 रुपये बताया गया, लेकिन आयोजन का प्रति व्यक्ति खर्च 1795 रुपये तक पहुंच गया!

❗ योजना 1.30 लाख की, पहुंचे सिर्फ 50 हजार
सरकार ने योजना बनाई थी कि 1.30 लाख श्रमिकों को इस आयोजन में शामिल किया जाएगा, लेकिन हकीकत में आए सिर्फ 50 हजार। दिलचस्प ये कि कुर्सियों की व्यवस्था महज 35 हजार के लिए थी। यानी खुद सरकार को भी उतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी, या फिर बाकी कुर्सियों का बजट कहीं बदल गया?
🔍 खर्चों की पोल – चौंका देने वाली सूची:
🎩 टोपी – ₹80 लाख
💧 पानी – ₹27 लाख
🏕️ छह विशाल डोम – ₹1.10 करोड़
🧾 कुल खर्च (केवल रायपुर) – ₹8.50 करोड़
🌐 पूरे प्रदेश का खर्च – ₹47 लाख
यानी राजधानी में बोरे-बासी जैसे पारंपरिक व्यंजन पर इतना खर्च, मानो उसे सोने की थाली में परोसा गया हो।

🧑‍⚖️ विपक्ष का वार:
तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह के सवाल पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने विधानसभा में जवाब दिया, जिससे पूरे घोटाले की परतें खुलीं।
अब विपक्ष ने इस आयोजन को “बोरे-बासी घोटाला” घोषित कर दिया है और पूर्ववर्ती भूपेश सरकार से जवाब की मांग की है।

❓ सवाल वही – किसका पेट भरा?
क्या ये आयोजन वास्तव में श्रमिकों की सेवा के लिए था?
या फिर सरकारी खजाने की थाली में राजनैतिक चाशनी डाली गई थी?
इस आयोजन के बहाने जो आंकड़े सामने आए हैं, वो साफ इशारा कर रहे हैं कि बोरे-बासी के नाम पर कुछ लोगों ने करोड़ों की मलाई खा ली।
अब देखना यह है कि क्या विधानसभा में यह मामला और गहराएगा, और क्या “बासी” यह घोटाला नई सरकार की जांच की “ताजी” फाइल बनेगा?