“कवर्धा कलेक्टर पर फूटा फेडरेशन का गुस्सा — कर्मचरी से ‘कान पकड़वाने’ पर बवाल, कार्रवाई की मांग!”

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छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक मर्यादाओं को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। कवर्धा कलेक्टर द्वारा कर्मचारियों से ‘कान पकड़वाने’ की कथित घटना अब तूल पकड़ चुकी है। राजनांदगांव में कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है — और कलेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मामला 3 जुलाई का है। कवर्धा जिला पंचायत और समग्र शिक्षा कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे कलेक्टर ने — बारिश के चलते देरी से पहुंचे कुछ कर्मचारियों को सार्वजनिक रूप से ‘कान पकड़वा’ दिया।
👉 फेडरेशन का कहना है — यह कृत्य सिर्फ आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला नहीं, बल्कि सिविल सेवा आचरण नियमों और मानवाधिकार का खुला उल्लंघन है।

🗯️ फेडरेशन का दो-टूक बयान:

“हम भी जिम्मेदार पदों पर हैं, अनुशासन ज़रूरी है…
लेकिन सम्मान भी उतना ही ज़रूरी है।”

“यदि देर हुई है तो विभागीय कार्यवाही होनी चाहिए — न कि सार्वजनिक अपमान।”

✍️ ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रमुख पदाधिकारी:

सतीश ब्यौहरे (जिला संयोजक), पीआर झाड़े (महासचिव) के नेतृत्व में फेडरेशन प्रतिनिधिमंडल ने राजनांदगांव कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
👉 ज्ञापन में कवर्धा कलेक्टर पर कार्रवाई की मांग की गई है, और चेतावनी भी दी गई है — अगर कर्मचारियों का अपमान यूं ही चलता रहा, तो फेडरेशन आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर होगा।

👥 ज्ञापन सौंपने वाले प्रमुख कर्मचारी:

संतोष चौहान, अरुण देवांगन, महेश साहू, दिलीप बारले, आदर्श वासनिक, डैनी राम वर्मा, अमरीश प्रजापति, पुष्पेंद्र साहू, महेश ठाकुर, अश्विनी साहू, अभिषेक श्रीवास्तव, भोजराज बागसवार, डीके लिल्हारे, एनएल देवांगन, विजय कुर्रे, राकेश मेश्राम, बलराज चौहान, गंभीर साहू सहित कई अधिकारी-कर्मचारी शामिल रहे।

⚖️ अब सवाल बड़ा है:

क्या एक कलेक्टर को यह अधिकार है कि वह कर्मियों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करे?

क्या सिविल सेवा का अनुशासन अब अपमान की शक्ल ले चुका है?

और सबसे बड़ा — क्या इस मामले में सरकार कलेक्टर पर कार्रवाई करेगी या फाइलें ही पलटी जाएंगी?

🔚 क्लोजिंग लाइन:

फिलहाल, फेडरेशन लामबंद हो चुका है। अगर कार्रवाई नहीं हुई — तो आने वाले दिनों में प्रदेश स्तर पर कर्मचारी नाराजगी सरकार को भारी पड़ सकती है।