

रिपोर्टर- शशिकांत सनसनी बालोद छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के बालोद ज़िले के डौंडी ब्लॉक के ग्रामीण अब शासन-प्रशासन को आइना दिखाने की तैयारी में हैं। ग्राम पंचायत धोबेदंड के आश्रित ग्राम कुंजामटोला और कारूटोला के ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है—अगर जल्द पक्की सड़क नहीं बनी, तो वे दलदल भरी कच्ची सड़क पर धान रोपेंगे। पिछले दस वर्षों से लगातार मांग के बावजूद समाधान न मिलने से ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है।
ग्रामीणों की भीड़ बालोद कलेक्ट्रेट के जनदर्शन में पहुंचती है…
हाथ में आवेदन लिए महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे…
कीचड़ में फंसी गाड़ियाँ, दलदल भरी सड़क पर चलते स्कूली बच्चे…
गड्ढों से भरी सड़कें, कीचड़ से सनी चप्पलें…
ग्राम कुंजामटोला और कारूटोला के ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को धोबेदंड, बिटाल और दल्लीराजहरा आना-जाना पड़ता है। लेकिन गांव को जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता एक कच्ची और कीचड़भरी सड़क है, जिसकी हालत बरसात में और बदतर हो जाती है।
पिछले कई वर्षों से ग्रामीण सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। स्कूली बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए बिटाल और दल्लीराजहरा तक जाना पड़ता है और रास्ते की बदहाली उनके भविष्य पर सवाल खड़ा कर रही है।
पुरन सिंह गरपाल, ग्रामीण:
“10 साल से हम हर जनदर्शन में गुहार लगा रहे हैं। सड़क की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। अब अगर सुनवाई नहीं हुई, तो इसी कीचड़ में धान रोपेंगे।”
रजनी खरे, छात्रा, एमए फाइनल:
“स्कूल और कॉलेज जाना किसी जंग से कम नहीं। कभी कपड़े कीचड़ से गंदे होते हैं तो कभी गिर जाते हैं। पढ़ाई से ज्यादा लड़ाई करनी पड़ती है रास्ते से।”
मीना करपाल, पंच, वार्ड-8, धोबेदंड:
“हम पंचायत स्तर पर कई बार प्रस्ताव भेज चुके हैं। लेकिन ऊपर से कोई कार्यवाही नहीं होती। अब ग्रामीणों का गुस्सा फूटना लाज़मी है।”
गंगेश जायसवाल, निवासी, कारूटोला:
“बीमारी में मरीज को अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी सड़क की वजह से जान तक खतरे में पड़ जाती है।”
संतराम रावटे, सरपंच, ग्राम पंचायत धोबेदंड
“हमने कई बार PWD विभाग को लिखा, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आया। अब लगता है, ऊपर तक दबाव बनाना पड़ेगा।”
तो ये था हाल बालोद ज़िले के ग्रामीण क्षेत्रों का, जहाँ बुनियादी सुविधा—एक पक्की सड़क भी—अब आंदोलन के जरिए मांगनी पड़ रही है। देखना होगा कि प्रशासन कब तक इन ग्रामीणों की आवाज़ सुनेगा, और क्या इनकी दलदल से भरी ज़िंदगी को अब पक्के रास्ते की दिशा मिलेगी या नहीं।