

रिपोर्ट: एस.एन. श्याम / अनमोल कुमार
स्थान: पटना
बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर जल प्रलय की चपेट में है। रविवार रात 11 बजे से रुक-रुक कर हो रही मूसलाधार बारिश ने राजधानी का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। सोमवार सुबह से लगातार हो रही बारिश के चलते पटना के कई इलाके पानी-पानी हो गए हैं।
कंकड़बाग, गांधी मैदान, राजेंद्र नगर, राजीव नगर, पाटलिपुत्र कॉलोनी, पटना जंक्शन गोलंबर समेत कई इलाके जलमग्न हैं। यहां तक कि बिहार विधानसभा परिसर और उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा का सरकारी आवास भी जल में डूब गया है।
“नरक निगम” बना नगर निगम
पटना नगर निगम की नाकामी अब आम जनता की जुबान पर है। लोगों ने गुस्से में नगर निगम को “नरक निगम” कहना शुरू कर दिया है। गांधी मैदान में चारों ओर पानी ही पानी है, जबकि सचिवालय और विधानसभा जैसी संवेदनशील इमारतें भी जलजमाव की चपेट में हैं।
स्कूल बंद, यातायात ठप
बाढ़ जैसी स्थिति को देखते हुए राजधानी के स्कूल बंद कर दिए गए हैं। निचले इलाकों में सड़कों पर इतना पानी भर गया है कि यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। कई वाहन सड़कों पर फंसे हुए हैं और सैकड़ों घरों में पानी घुस चुका है।
प्रशासन का दावा—पंपिंग जारी
पटना के जिलाधिकारी ने जानकारी दी कि नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम हालात पर नजर बनाए हुए है। पानी निकासी के लिए 18 पंप लगाए गए हैं और दावा है कि 1-2 घंटे में जलनिकासी हो जाएगी। हालांकि, लोगों में गुस्सा है कि हर साल ऐसे हालात होते हैं लेकिन स्थायी समाधान आज तक नहीं निकला।
जनता बेहाल, अफसर केवल “नजर बनाए हुए”
पटना जंक्शन का बाहरी परिसर पूरी तरह डूबा हुआ है। सरकारी तंत्र का रवैया हर बार की तरह ‘देख रहे हैं, कर रहे हैं’ तक ही सीमित है। जनता त्रस्त है लेकिन समाधान की कोई ठोस योजना नजर नहीं आ रही