

रिपोर्टर: शशिकांत -सनसनी राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)
राजनांदगांव जिले के ठाकुरटोला स्थित दिव्यांगजन कौशल विकास पुनर्वास एवं सशक्तिकरण समेकित क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) में गुरुवार को आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों के साथ बेहद गैर-पेशेवर व्यवहार की घटनाएं सामने आई हैं। प्रेसवार्ता के नाम पर न सिर्फ पत्रकारों को कच्चा “आलू गुंडा” नाश्ते में परोसा गया, बल्कि कार्यक्रम के बाद उन्हें घंटों तक बस के इंतजार में खड़ा भी रहना पड़ा।
नाश्ते में कच्चा “आलू गुंडा”, कई पत्रकारों ने छोड़ा अधूरा
सीआरसी सेंटर द्वारा आयोजित पर्पल फेयर मेला की जानकारी देने के लिए प्रेसवार्ता रखी गई थी। जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकारों को 10:30 बजे कलेक्टरेट में बुलाया गया, जहां से सेंटर की बस से उन्हें ठाकुरटोला ले जाया गया। प्रेसवार्ता करीब 12 बजे शुरू हुई, जिसे सीआरसी की हेड स्मिता मोहिबिया ने संबोधित किया।
प्रेसवार्ता के बाद जब पत्रकारों के लिए नाश्ते की व्यवस्था की गई, तो उसमें परोसे गए “आलू गुंडा” को अधिकांश पत्रकारों ने या तो खाया ही नहीं, या अधूरा छोड़ दिया, क्योंकि वह अधपका और स्वादहीन था। इससे कई पत्रकारों ने अपमानित महसूस किया।
वापसी में भी अव्यवस्था, बारिश में खड़े रहे पत्रकार
नाश्ते के बाद पत्रकारों ने मेला स्थल और सेंटर का निरीक्षण किया, फोटोज और वीडियो कवरेज भी किया। लेकिन जब वापसी की बारी आई, तो पता चला कि जिस बस से आए थे, वह राजनांदगांव लौटने के लिए उपलब्ध नहीं है। जब कर्मचारियों से पूछा गया, तो बताया गया कि बस दोपहर 2:15 बजे राजनांदगांव से निकलेगी। इस बीच कुछ पत्रकार भीगते हुए बारिश में खड़े रहे, तो कुछ ने लिफ्ट मांगकर जैसे-तैसे वापसी की।
पत्रकारों ने जताई तीखी नाराज़गी, प्रेस रिपोर्टर क्लब और भारतीय ग्रामीण पत्रकार संघ ने की निंदा
सीआरसी सेंटर की इस लापरवाही को लेकर पत्रकारों में गहरी नाराज़गी देखी गई। उन्होंने कहा कि जब आम जनता तक जानकारी पहुंचाने के लिए उन्हें बुलाया जाता है, तो आयोजकों को बुनियादी सुविधाएं और सम्मानजनक व्यवहार देना चाहिए।
इस घटनाक्रम पर प्रेस रिपोर्टर क्लब छत्तीसगढ़ संघ और भारतीय ग्रामीण पत्रकार संघ ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि भविष्य में इस प्रकार की अव्यवस्था और अनादर किसी भी पत्रकार के साथ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सवाल उठता है — क्या सीआरसी सेंटर पत्रकारों को सिर्फ “उपयोग की वस्तु” समझता है?
अगर आयोजक केवल मीडिया का सहयोग लेकर प्रचार चाहते हैं, तो उन्हें पत्रकारों की गरिमा और समय का भी उतना ही सम्मान करना चाहिए। आयोजनों की सफलता पत्रकारों की भूमिका से भी जुड़ी होती है — लेकिन ऐसा व्यवहार भरोसे को तोड़ता है।

