सृष्टि सिन्हा की रहस्यमयी मौत: आत्महत्या या आरोपों का जाल ? डॉ. अभिजीत सिन्हा के पक्ष से उठे सवाल, कई परतें अभी बाकी!

रिपोर्ट: अनमोल कुमार

पटना के पॉश बुद्धा कॉलोनी में 36 वर्षीय सृष्टि सिन्हा की रहस्यमयी मौत ने न सिर्फ समाज को झकझोर दिया है, बल्कि अब इस घटना ने एक नया मोड़ ले लिया है। मृतका के पति डॉ. अभिजीत सिन्हा के पक्ष में अब कई सवाल तेज़ी से उठाए जा रहे हैं — क्या यह आत्महत्या थी या साजिश के जाल में फंसाया जा रहा है एक प्रतिष्ठित सर्जन को?

मानसिक तनाव या पारिवारिक आरोप?

डॉ. सिन्हा के करीबियों और पारिवारिक मित्रों का दावा है कि सृष्टि बीते कुछ महीनों से गंभीर मानसिक तनाव से जूझ रही थीं। एक पारिवारिक मित्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,

“सृष्टि का व्यवहार काफी असामान्य हो गया था। बच्चों से दूरी, चिड़चिड़ापन और अचानक भावनात्मक विस्फोट — ये सब बीते कुछ समय से आम हो गए थे। डॉ. साहब ने उन्हें मानसिक परामर्श लेने को कहा था, लेकिन बात नहीं बनी।”

चरित्र हनन या तथ्यों से परे आरोप?

मृतका के मायके पक्ष ने डॉ. अभिजीत पर विवाहेतर संबंध और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन डॉक्टर के सहयोगी इन आरोपों को “निराधार और चरित्र हनन की साजिश” बता रहे हैं। एक अस्पताल सहकर्मी ने साफ कहा,

“डॉ. अभिजीत का व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन बेहद अनुशासित है। वे समर्पित पिता और जिम्मेदार पति रहे हैं। बिना प्रमाण के उन पर उंगली उठाना न्याय नहीं, अन्याय है।”

बच्चों को लेकर उठे सवाल — भागना या सुरक्षा?

घटना के बाद डॉ. सिन्हा अपने तीन बच्चों को लेकर शहर से बाहर चले गए। आलोचकों ने इसे ‘भागने की कोशिश’ बताया, वहीं उनके पक्षकारों का कहना है —

“बच्चे अपनी मां की मौत के गवाह हैं। मानसिक स्थिति बेहद नाज़ुक है। डॉ. साहब ने केवल उन्हें सुरक्षित माहौल देने की कोशिश की है।”

देरी से पुलिस सूचना — साजिश या घबराहट?

एक और बड़ा सवाल उठा — पुलिस को सूचना देर से क्यों दी गई? शव को खुद पोस्टमार्टम के लिए क्यों भेजा गया? इस पर सफाई दी गई:

“परिवार में अफरा-तफरी थी। उन्हें लगा कि अस्पताल ले जाकर जान बचाई जा सकती है। यह कदम घबराहट में उठाया गया था, न कि किसी योजना के तहत।”

अधिवक्ता की अपील — “न्याय चाहिए, न की भावनात्मक फैसला”
डॉ. सिन्हा के अधिवक्ता का साफ कहना है:

“यह मामला संवेदनशील जरूर है, लेकिन जांच तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए, न कि भावनात्मक तूफान या सार्वजनिक दबाव में।”

🔍 अब सबसे बड़ा सवाल — क्या सृष्टि की मौत के पीछे अवसाद छिपा था या एक साजिश?
जब तक पुलिस की निष्पक्ष और गहराई से जांच नहीं होती, तब तक यह कहना मुश्किल होगा कि सच का चेहरा क्या है। लेकिन इतना तय है कि इस केस में सिर्फ एक मौत नहीं, एक पिता की प्रतिष्ठा और तीन मासूमों का भविष्य भी दांव पर लगा है।