
राजनांदगांव। प्रदेश के बहुचर्चित दो हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले में शामिल राजनांदगांव के मौजूदा आबकारी अधिकारी जीपीएस दर्दी सहित यहां पदस्थ रहे दो और अधिकारियों के लिए पांच जुलाई का दिन कई मायनों में अहम माना जा रहा है। दरअसल इस घोटाले की जांच कर रहे ईओडब्ल्यू द्वारा पांच जुलाई को इन आरोपी अधिकारियों की रायपुर में पेशी बुलाई गई है। इसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं और चर्चा सरगर्म है कि शनिवार को इनकी या तो गिरफ्तारी हो सकती है अथवा निलंबन की कार्यवाही हो सकती है? ऐसे में पांच जुलाई को होने वाली इन अधिकारियों की पेशी पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में राज्य सरकार ने 30 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति दे दी थी, जिस पर जांच चल रही है। दो हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले में जिन 30 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है, उनमें राजनांदगांव में पूर्व आबकारी अधिकारी रहे नवीन प्रताप सिंह तोमर, नीतू नोतानी ठाकुर और वर्तमान आबकारी अधिकारी जीपीएस दर्दी के नाम भी शामिल हैं। दर्री के यहां पदस्थ होने के बाद से आबकारी विभाग में चल रही गड़बड़ियों को भास्कर दूत लगातार खबरों का प्रकाशन कर उजागर करते आ रहा है।
अब बड़ा सवाल यह है कि पहले से आरोपों से घिरे दर्दी को
आखिर शासन द्वारा किसके संरक्षण में यहां पदस्थ किया गया है? दो माह पूर्व राजनांदगांव में दुर्ग आबकारी फ्लाइंग स्क्वाड द्वारा दो शराब भट्टी में दबिश देकर ओवर रेट पर शराब बेचने को लेकर कार्यवाही के लिए पत्र लिखा गया था, जिसमे दो कर्मचारियों पर कार्यवाही की गई और दो कर्मचारियों को दूसरी भट्टी में शिफ्ट कर दिया गया है। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ शासन ने शासकीय कार्य
में अनियमितता, तय दर से अधिक मूल्य पर मदिरा विक्रय, स्टॉक में गंभीर कमी और बिक्री राशि में लाखों रुपये की गड़बड़ी के मद्देनजर महासमुंद के प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी निधीश कुमार कोष्टी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत किया जाना बताया गया, लेकिन राजनांदगांव में इस तरह की कोई कार्रवाई न होने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
सहायक आयुक्त दर्दी को किसका संरक्षण?
राजनांदगांव में कांग्रेस की भूपेश सरकार के समय से ही आबकारी विभाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा हुआ
था, उस सिस्टम को ठीक करने जिले में लगातार अधिकारियों को सिस्टम सुधारने भेजा जा रहा था, लेकिन अधिकारियों के खून में जो रचा-बसा था वह आज तक चल रहा है। इसी बीच रघुनंदन राठौर को सिस्टम सुधारने के लिए यहां पदस्थ किया गया था, किंतु सिस्टम सुधरने की बजाय और बिगड़ता चला गया, जिसके पीछे भाजपा के कुछ नेताओं का हस्तक्षेप बताया जा रहा है। भास्कर दूत में लगातार खबरों के प्रकाशन के बाद राज्य शासन ने यहां सहायक आबकारी आयुक्त रहे श्री राठौर को हटाया। उनकी जगह पर नए अधिकारी जीपीएस दर्दी को राजनांदगांव में पदस्थ किया गया। लेकिन उनके यहां आने के बाद भी पुराना ढर्रा जारी है, जिसका उदाहरण राजनांदगांव में ओवर रेट पर बिक रही मिलावटी शराब है।
मिलावटी शराब बिकवाने का चल रहा खेल
हाल ही में जिले के गैंदाटोला में संचालित शराब दुकान में देशी दारू की शीशी में मरी हुई मकड़ी के अंगों के टुकड़े मिलने का मामला सामने आया था। दरअसल अर्जुनी की शराब दुकान में रहने के दौरान फ्लाईंग स्क्वाड की टीम ने जिस सुपरवायजर को ओवर रेट पर शराब बेचते रंगे हाथों पकड़ा था, उसी सुपरवायजर को श्री दर्दी की पसंद के चलते गैंदाटोला शराब दुकान में रखा गया है। वहां की दुकान में बिकने वाली प्लेन मदिरा शराब की शीशी में मरी हुई मकड़ी मिलने को लेकर अब इस बात की आशंका बलवती हो गई है कि विभागीय अफसर के ईशारे पर ही शराब में मिलावट का बड़ा खेल खेला जा रहा है।
आबकारी में झारखंड की टीम की एंट्री ?
आबकारी विभाग द्वारा झारखंड से टीम बुलवाकर कोचियागिरी को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है। झारखंड से बुलाए जा रहे अधिकारियों का वर्तमान पता रायपुर का है, लेकिन स्थाई पता झारखंड एवं अन्य राज्य का है। सूत्रों के अनुसार जिले में आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त के इशारे पर नई टीम को झारखंड से बुलाया जा रहा है। इस तरह नए सिरे से कोचियागिरी को हावी करने और अवैध शराब के कारोबार में इजाफा करने की तैयारी आबकारी द्वारा की जा रही है। आबकारी विभाग में दूसरे राज्य के लोगों की एंट्री से शहर सहित जिले में शराब को लेकर माहौल और बिगड़ने वाला है। सूत्र बता रहे हैं कि पहले कोचियों से 150 से 200 रुपए पेटी पीछे लिया जाता था और अब 250 से 300 करने की प्लानिंग चल रही है।