राजनांदगांव।
पेंड्री मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल को आखिरकार वह सुविधा मिल गई, जिसका इंतजार वर्षों से किया जा रहा था — सिटी स्कैन मशीन। मंगलवार को यह बहुप्रतीक्षित मशीन हॉस्पिटल पहुंची और एक्स-रे विभाग के पास इसे स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
डीन डॉ. पंकज मधुकर लुका, अधीक्षक डॉ. अतुल देशकर और डॉ. पवन जेठानी की टीम के मार्गदर्शन में यह कार्य प्रगति पर है। 15 जुलाई तक मशीन का संचालन शुरू होने की उम्मीद जताई गई है।
“बहुत देर हुई मगर दुरुस्त आए” — यह कहावत यहां सटीक बैठती है। वर्षों की मांग, जनता की प्रतीक्षा और जनप्रतिनिधियों की पहल के बाद आज सरकारी अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध हो रही है। विधायक डॉ. रमन सिंह और सांसद संतोष पांडेय की सक्रियता को इसका श्रेय दिया जा रहा है।
लेकिन क्या भरोसा अब भी कायम है?
जहाँ एक ओर सिटी स्कैन मशीन अस्पताल में तकनीकी विकास की मिसाल बन रही है, वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल में रात्रिकालीन असुरक्षा गंभीर सवाल खड़े कर रही है। डॉक्टरों और स्टाफ का कहना है कि वे रात के समय खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। हाल ही में दो पुलिसकर्मियों के बीच हुए विवाद और मारपीट ने इस डर को और गहरा कर दिया।
रात के वक्त न डॉक्टर नर्स सुरक्षित, न ही मरीज। यह अस्पताल शहर के बीचोंबीच स्थित है — जहां सबसे पहले घायल और इमरजेंसी केस लाए जाते हैं, मगर वहां सुरक्षा का नामोनिशान नहीं।
कब तक चलेगा “भगवान भरोसे अस्पताल”?
शशिकांत देवांगन की सनसनीखेज शैली में कहा जाए तो — अब देखने वाली बात यह होगी कि जनता का भरोसा जीतने में ज्यादा सफल कौन होता है: नई मशीन या पुराना सिस्टम?
तकनीक आएगी, मशीन लगेगी, फीता कटेगा — पर क्या भरोसा भी लौटेगा?
यह सवाल आज अस्पताल प्रबंधन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के सामने खड़ा है।