✍️ लाल टोपी राजू सोनी
“भारत माता की जय” और “पांच किलो राशन जारी रहेगा!”—इन नारों के बीच एक और ऐतिहासिक निर्णय सामने आया है। राज्यसभा सांसद संजय झा की दोनों बेटियां आध्या झा और सत्या झा को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील नियुक्त किया है। कानून मंत्रालय के आदेशानुसार, उन्हें ग्रुप-A पैनल में तीन वर्षों के लिए अनुबंधित किया गया है, जहां वे केंद्र की ओर से केस लड़ेंगी।
काबिलियत का सम्मान होना चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन जब एक ही घर से दो नाम एक साथ चमकते हैं और वह घर सीधे सत्ता से जुड़ा हो, तो सवाल उठना लाजमी है।
क्या यह नियुक्ति केवल योग्यता का प्रमाण है या “सिस्टम” की एक सोची-समझी नीति? क्या यह वही परिवारवाद नहीं है, जिसे दिन-रात मंचों से कोसा जाता है?
कहते हैं, “समान अवसर सबको मिलना चाहिए”, लेकिन अवसर वही पाते हैं जिनके घर में पहले से ही सत्ता का दरवाजा खुला हो। बाकी जनता को मिलते हैं—पांच किलो राशन, और नारेबाज़ी का अधिकार।
तो एक बार फिर, ठोको ताली!
लेकिन ये मत पूछना कि नियुक्तियों की प्रक्रिया पारदर्शी थी या नहीं।
क्योंकि सवाल पूछना अब ‘देशद्रोह’ माना जा सकता है।