छत्तीसगढ़ में अनिश्चितकालीन पंचायत सचिवों की हड़ताल और इसके प्रभाव पर हाल के महीनों में कई समाचार सामने आए हैं। पंचायत सचिवों की हड़ताल के कारण ग्राम पंचायतों में प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है, जिससे विकास कार्यों की गति भी प्रभावित हो रही है। इस संदर्भ में राज्य सरकार की भूमिका और बजट आवंटन पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं।
पिछले वर्ष, 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के अवसर पर राज्य सरकार ने “सहकार से समृद्धि” पहल के तहत 300 से अधिक नवगठित बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों का शुभारंभ किया था। इस कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा था कि राज्य में 500 नए बहुउद्देशीय पैक्स के गठन की प्रक्रिया जारी है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा, प्रतापपुर विधानसभा में विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के नेतृत्व में 6.30 करोड़ रुपये के विभिन्न विकास कार्यों का भूमि पूजन किया गया था, जिसमें ऑडिटोरियम, महतारी सदन और मंगल भवन जैसे परियोजनाएं शामिल हैं।
इन घटनाक्रमों से स्पष्ट है कि राज्य सरकार विकास कार्यों को प्राथमिकता दे रही है और बजट आवंटन में कोई कमी नहीं है। फिर भी, पंचायत सचिवों की हड़ताल के कारण ग्राम पंचायतों में प्रशासनिक कार्यों में व्यवधान आ रहा है, जिससे विकास कार्यों की गति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
सुशासन दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में नागरिकों को प्रशासनिक सुधारों और सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया जाता है, जिससे शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़े और विकास कार्यों में सहभागिता सुनिश्चित हो। इस वर्ष भी सुशासन दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें नागरिकों को सरकारी योजनाओं के लाभ और प्रशासनिक सुधारों के बारे में जागरूक किया गया।
अंततः, पंचायत सचिवों की हड़ताल एक जटिल समस्या है, जिसका समाधान सभी पक्षों की समझ और सहयोग से ही संभव है। राज्य सरकार को पंचायत सचिवों की समस्याओं का समाधान निकालकर ग्राम पंचायतों में प्रशासनिक कार्यों की सु चाहिए, ताकि विकास व और नागरिकों को योजना गलत सुनिश्चित करना कोई व्यवधान न आए का लाभ समय पर मिल सके ।
लाल टोपी राजू सोनी राजनांदगांव छत्तीसगढ़